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दिन ख़ुशी के आयेंगे

सरफ़राज़ हुसैन ‘फ़राज़’
मुरादाबाद (उत्तरप्रदेश) 
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कहने को आप कह’ दें के अम्न-ओ-अमान है।
खौफ़-ओ-ख़तर के साए में चुप हर ज़ुबान है।

घेरे हुए हैं आज हमें ग़म तो क्या हुआ,
दिन फिर ख़ुशी के आयेंगे यह इतमिनान है।

अम्न-ओ-अमान,चैनो सुकूँ,मेल ‘जोल में,
सानी ‘न जिसका कोई ‘वो हिन्दोस्तान है।

बैठे ‘हैं आज हारे हुए बाज़ की तरह,
आपस के इन्तेशार का यह अर्मग़ान है।

दंगा-फ़साद ज़ातो मज़ाहिब के नाम ‘पर,
यह काम तो हमारा बहुत पास्तान है।

कोताहियों ‘का अपननी ‘नतीजा है दोस्तों,
हर-हर क़दम ‘पे जो यह ‘कड़ा इम्तेहान है।

मेंहगाई आसमान’ को छूने लगी ‘फ़राज़’,
बदह़ालियों ‘के दौर का यह उनफ़वान ‘है॥

(इक दृष्टि यहाँ भी-अर्मग़ान=तोहफ़ा,पास्तान= पुराना,उनफ़वान=शुरूआ़त)

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