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देश को तोड़ने की राजनीति

अजय जैन ‘विकल्प’
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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बधाई हो पुराने संगठन कांग्रेस को कि उसके पदाधिकारी और केन्द्रीय मंत्री रहे सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ से आखिर देश को तोड़ने की राजनीति कर ही ली। विदेश और कानून मंत्री रह चुके श्री खुर्शीद की इस किताब में हिन्दुत्व की तुलना बोको हरम से करने पर २ वकीलों ने आवेदन देकर इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है तो,केन्द्रीय मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने भी इस तुलना को गलत बताकर असहमति व्यक्त की है।
ऐसा लगता है कि,कुछ राज्यों में आगामी चुनावी बेला को देखते हुए ही कांग्रेस नेता ने सत्ता की खातिर हिन्दुत्व बनाम धर्म पर ऐसा प्रहार किया है। कुछ दिन पहले ही बंटवारे के जनक जिन्ना को उप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बड़े सम्मान से याद किया था,क्योंकि सपा को उप्र के सिर्फ २० फीसदी किन्तु मुस्लिम मत चाहिए। इस चक्कर में इन्होंने बहुसंख्यकों को अपमानित कर दिया। इस पर बवाल के बाद सलमान खुर्शीद की किताब पर नया बवाल हो गया है। ऐसा जहर ऐसे राजनेता किधर से लाते हैं,यह खोज का विषय है।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है,जब कांग्रेस के किसी नेता ने देश को ऐसे तोड़ने की राजनीति की है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पक्के कांग्रेसी दिग्विजय सिंह अनेक बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर बेफिजूल टिप्पणी कर चुके हैं तो यहां तक कि केन्द्रीय मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने भी यह समझाने की कोशिश की है कि हिंदुत्व की राजनीति करके भाजपा देश तोड़ रही है। यह अलग बात है कि, आम जनता और कई बार विवाद बढ़ने पर कांग्रेस संगठन ने इससे असहमत होकर किनारा कर लिया। विद्वान शशि थरूर को भी याद कीजिए,वो भी अपने बयानों से अनेक बार संगठन की प्रतिष्ठा गिरा चुके हैं।
काग्रेस और इसके नेताओं को कब समझ आएगी कि,ऐसे बेकार बयानों और बेफिजूल की तुलना में दम या तर्क होता तो आज शायद केन्द्र में भी कांग्रेस की सरकार आसीन होती। इसके बावजूद इनके बड़े धाकड़ नेताओं को इतनी-सी बात समझ नहीं आ रही है कि,इस किताब से समाज-देश की एकता को तोड़कर राजनीति भी संभव नहीं होगी।
कितने अचरज की बात है कि,सलमान खुर्शीद को तुलना के लिए मिला भी तो क्या बोको हरम..। ये शायद भूल गए हैं कि,हिंदुत्व की जिस आतंकी संगठन बोको हरम और आईएसआईएस से तुलना कर रहे हैं,वो एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन है। यह नाइजीरिया में २००९ से अब तक करीब साढ़े ३ लाख बेगुनाहों का कत्लेआम कर चुका है। बोको हरम के खौफ से ३० लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं,तो लाखों लोगों को दूसरे मुल्कों में शरण लेनी पड़ी है,पर भारत में तो ऐसा कुछ नहीं है। आज विवाद के बाद कांग्रेस और सलमान खुर्शीद इस हंगामे पर माफी भी मांग लें तो बड़ी बात नहीं, किन्तु हिन्दुत्व बनाम धर्म की तुलना का यह जहर आने वाले दिनों में और भी उगला जाएगा। सत्ता की खातिर अन्य दल निश्चित रूप से इस विवाद के बीज पर अपने विचारों का पानी डालेंगे,ताकि इससे वो अपना राजनीतिक फल ले सकें। हालांकि,जनता अच्छी तरह से जानती-समझती है कि ऐसे जहर से देश की तरक्की नहीं होगी,पर फिर भी मौजूदा स्थिति में देश की एकता ऐसी तुलना से दूषित अवश्य होगी।
किताब से चर्चा में आए ‘हिंदुत्व’ पर बवाल के बीच फिल्म गीतकार-लेखक जावेद अख्तर का भी उल्लेख आवश्यक है,क्योंकि इन्होंने कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना तालिबान से की थी। उन टिप्पणियों के लिए इनको कोर्ट से नोटिस मिला हुआ है।
सलमान खुर्शीद की किताब ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ में हिन्दुत्व को बुरा बताने पर भाजपा ने कांग्रेस पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाया है। सलमान खुर्शीद द्वारा हिंदुत्व की परिभाषा को लेकर बहस तेज हो गई है। इसके पक्ष में बोलने वाले हिंदुत्व को २ भाग में विभाजित कर रहे हैं,-एक अच्छा हिंदुत्व और दूसरा खराब। विरोध करने वाले इसे हिंदुत्व से घृणा वाली सोच बता रहे हैं तो कुछ का समर्थन है।
बात विवाद के केन्द्र बिंदु में मौजूद हिंदुत्व की जाए तो आतंकी संगठन बोको हरम नरसंहार और अपनी क्रूरता के लिए जाना जाता है। आज भी बोको हरम को मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। यही वजह है कि,बोको हरम से हिदुत्व की तुलना पर भाजपा खासी आक्रोशित हुई है। इतना ही नहीं,सलमान खुर्शीद ने किताब में हिंदुत्व की तुलना मारे जा चुके आतंकी आका अल बगदादी के संगठन आईएसआईएसए से की है। इस आतंकी संगठन ने २०१५ में दहशतगर्दी के दम पर बेगुनाहों को मौत के घाट उतारा,तो सीरिया से लेकर इराक तक कत्ल की नई खौफनाक कहानी लिखी। करीब १९ हजार से ज्यादा बेगुनाहों को आईएसआईएस आतंकियों ने मारा। तब इस्लामिक राज्य का खात्मा करने के लिए अमेरिका समेत ‘नाटो’ की वायुसेना को कई साल तक बम वर्षा करनी पड़ी। ऐसे संगठन से तुलना करके सलमान खुर्शीद विवाद में घिर गए हैं।
आज जिस हिंदुत्व पर कांग्रेस और भाजपा में जंग छिड़ गई है,उस शब्द का दरअसल पहली बार १८९२ में बंगाली साहित्यकार चंद्रनाथ बसु ने अपनी किताब- ‘हिंदुत्व’ में इस्तेमाल किया था। यह पुस्तक हिंदुओं को जागृत करने के उद्देश्य से लिखी गई थी,यानी किताब द्वारा ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ हिंदुओं को लामबंद करने की कोशिश थी। इसके विपरीत देश में बुद्धिजीवी लोगों का एक ऐसा वर्ग है,जो हिंदुत्व को पहले से ही धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ समझता है। इनके द्वारा सदैव यही साबित किया जाता है कि हिंदुत्व तोड़ने वाला विचार है। इसकी वजह है हिंदुत्व से जुड़ा सावरकर का नाम। दरअसल,हिंदुत्व शब्द को असल पहचान विनायक दामोदर सावरकर ने १९२३ में ‘हिंदुत्व’ पुस्तक लिख कर दिलाई थी।
इधर मुद्दे की बात यह है कि,हिंदू और हिंदुत्व की व्याख्या राजनीतिक दल अपने हिसाब से करते रहते हैं,और ये विवाद आजादी के पहले से चला रहा रहा है। अगर धर्म का चश्मा उतारकर देखें तो हिंदुत्व या फिर हिंदू ऐसे शब्द हैं,जो भारतीय राजनीति में नेताओं को राज कराते आए हैं,कभी हिंदुत्व का भय दिखाकर तो कभी जय बोलकर।
फिलहाल तो हिंदुत्व पर जारी घमासान में भाजपा तेज हमलावर है,तथा कांग्रेस फंस गई है।
किताब पर बवाल के बाद सलमान खुर्शीद की सफाई पर गुलाम नबी आजाद ने भी हिंदुत्व की जिहादी इस्लाम से तुलना को गलत बताया है,तो भाजपा ने इसे कांग्रेस की हिंदू विरोधी सोच और उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले तुष्टिकरण की राजनीति का प्रयास बताया है। महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी दल शिवसेना ने भी इस किताब पर आपत्ति जताई है। गुलाम नबी आजाद ने तो यह भी कहा कि तुलना करना तथ्यात्मक रूप से गलत और अतिशयोक्ति है।
आश्चर्य है कि,सलमान खुर्शीद कानून मंत्री रह चुके हैं,व शब्द नाप-तोल कर बोलते-लिखते हैं तो हिंदुत्व की तुलना बोको हरम से कैसे कर गए ? राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि, सलमान खुर्शीद ने किताब में हिंदुत्व पर निशाना साधते हुए पृष्ठ संख्या ११३ पर ‘सैफरन स्काई’ यानी भगवा आसमान कैसे लिख डाला। लिखा है-‘हिंदुत्व साधु-सन्तों के सनातन और प्राचीन हिंदू धर्म को किनारे लगा रहा है,जो कि हर तरीके से आईएसआईएस और बोको हरम जैसे जिहादी इस्लामी संगठनों जैसा है।’ कांग्रेस की तरफ से फिलहाल सलमान खुर्शीद की किताब पर कोई सफाई नहीं आई है,पर तय है कि देश को तोड़कर राजनीति करते हुए सत्ता का सिंहासन पाने की कोशिश तेजी से हो रही है।

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