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धन्य दिवस

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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अटलबिहारी वाजपेयी विशेष….

ममता तिवारी, छग/sab ओल्ड/विधा- काव्य/
शीर्षक-/टैग –
०००
धन्य दिवस पच्चीस दिसम्बर,तुलसी पूजन आता,
बिरवा,औषधि प्राणवायु भर,इसलिए कहते माता।
दो दो रतन जन्मे इस दिवस,भारत भाग्य विधाता,
एक महामना और एक अटल,धर्म सत्य के ज्ञाता॥

निज गौरव को भुला रे सठ,पेड़ प्लास्टिक पूजा,
आदित्य तेजमय जगा रहा जाग उपाय न दूजा।
अक्षर दीप आलोकित भारत,द्वेत अद्वैत बताया,
चमत्कार को नमस्कार कर,सतपथ गले लगाया।
विश्वगुरु का तिलक पोंछ कर,कुत्सित भाव जगाता,
भारत ज्ञान विज्ञान चुरा कर,वापस यहीं सिखाता
धन्य दिवस…॥

हर मनीषी सन्यासी संत थे आमिष से दूरी,
जीव हन्ता कहलाय दयालु,आँख दिखाय रख छुरी।
धमकाते वो निर्दय पामर दब्बू जिनके दादा,
कर्म धर्म और रक्षा छोड़ तोड़ा भारत वादा।
पूर्वज तेरे धर्म त्याग कर छोड़ा भारत माता,
धमकी दे न भारत पूत को ,तेरा यहां क्या नाता।
धन्य दिवस…॥

धरती के सभी पंथ सम्मान करते भारतवासी,
वे भारत की धर्म खण्ड कर,ले स्वांस उच्छवासी।
भारत पुत्र जब होंगे एक तब ठंड पड़े छाती,
सुन बोले अटल महामना कर बाहर भीतर घाती।
स्वयं को करते महिमा मंडित धर्म जूठन खाता,
पांडित्य बिना बन कर पंडित, चीं-पों,चीं-पों चिल्लाता।
धन्य दिवस पच्चीस…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।

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