श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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चरण वन्दना करती हूँ आपको,
हे हमारे भारतीय ‘धरती पुत्र’
आपके त्याग-तपस्या से जुड़ा है,
हम सभी का जीवन-रक्षा सूत्र।
हे हमारे लाल धरती पुत्रों सच है,
मुश्किल होगा आपको भुलाना
हम सभी का अब कर्तव्य है,
आपके नाम की अलख जगाना।
जब युद्ध भूमि में गंगा जैसा बहा,
आप प्यारे धरती पुत्रों का लहू
नित्य बाट जोहती रहती थी गृह में,
रो-रोकर सुहागन, बेटी और बहू।
धुली भी नहीं थी पैरों से महावर,
मिटी नहीं थी हाथों से मेहंदी
शहीद शब्द सुनते भाई, पति का,
विधवा हो गई, रो कर बात कह दी।
हे भारत के ‘धरतीपुत्र’ आओ,
फिर से माँ के गर्भगृह में।
कल आने वाला है घोर संकट,
लग रहा, फसूंगा गृहयुद्ध में॥
परिचय– श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है