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धोखेबाज

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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छली, कपटी और धूर्त,
धोखेबाज कहलाते हैं
जिंदगी की जगह,
अशांति और कलह के,
सरताज बनकर इठलाते हैं।

मुश्किल वक्त में हालात के,
बदरंग को देखते हुए
बहाने बनाने वाले लोगों में,
हर पल शुमार रहते हैं
नासमझी की बड़ी-बड़ी,
बातचीत करते हुए
समाज में अव्वल बनकर,
खुशियाँ मनाते फिरते हैं।

धोखेबाज तकलीफ़ देते हैं,
जिंदगी की राह पर चलते वक्त
अवरोध पैदा करने वाले,
सजीव सारथी बनकर
सही वक्त पर मददगार बनने की जगह,
गर्दन मोड़ते हुए अनजान बन कर
कहीं छिप जाते हैं।

सही वक्त पर बड़े दिल वाले,
हमसफर बने रहने की
भरपूर कोशिश करते हैं,
मुश्किल वक्त की थोड़ी-सी
आहट सुनाई देते ही,
दूरियाँ बढ़ाकर मुँह मोड़ लेते हैं।

धोखेबाज दोस्ती की दुनिया में,
गहरे दोस्त बनकर
सबसे बड़ा आघात करने वाले,
लोगों में शुमार होते-होते
तकलीफ़ के सागर में दोस्त को डुबोकर,
अपना उल्लू सीधा करने में
हरपल आगे बने रहने में जुटे रहते हैं।

सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते ही,
तकलीफ़ की बजह बनकर,
सबसे आगे खड़े हुए रहते हैं,
धोखेबाज प्यार और हमदर्दी जताते हुए,
सबके बीच अपने बनने का,
स्वांग रचते फिरते हैं।

तकलीफ़ की घंटी बजते ही,
दोस्तों से दूर रहने के फिराक में दिखते हैं
नज़र के सामने फ़रिश्ते और फिर,
गर्दिशों की छाया पड़ते ही
मददगार बनने से पहले,
सुदूर जाने की कोशिश में,
दिखने लगते हैं।

गुज़रे ज़माने में धोखेबाजों ने,
इतिहास में जगह बनाई है
लोगों को बुरे वक्त में,
दोस्तों से दूरियाँ बनाने की
दिशा और दशा देने की,
तरकीब बताई है।

समझदारी से काम कर,
हमें धोखेबाज लोगों को
सही वक्त पर सबक सिखाना है,
हालात बदलने पर,
तुरंत पीछे भाग जाने वाले
शरारती दोस्तों को हमेशा के लिए,
सटीक सीख देने के लिए
आगे बढ़ते रहने वाले,
प्रयास की ओर जाना है।

मौके की तलाश में,
डूबते-उतराते रहने वाले
धोखेबाज अपने दोस्तों को,
गुमराह कर परेशान करते हुए
अपनी पताका फहराकर,
आगे बढ़ते रहते हैं
कुछ मजबूरियाँ आने पर,
अपनी सफलता की राह पर
रोड़े खड़े करने वाले लोगों पर,
तकलीफ़ और वेदना वाले
प्रहार करते दिखते हैं।

हमें ज़िन्दगी की धूप-छाँव में,
बैठकर दिल से
धोखेबाजों से बचकर रहने की,
कोशिश करते रहना चाहिए।
हर वक्त साथ रहने वाले लोगों की,
फितरत की पहचान करने में
विलम्ब न हो,
यह प्रयोग और प्रयास करना चाहिए॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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