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ध्यान रखें ग्रीष्म में, वरना…

गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’
बीकानेर(राजस्थान)
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देश के अधिकांश भागों में भयंकर गर्मी पड़ रही है। खासकर सम्पूर्ण उत्तर भारत के साथ मध्य व पश्चिम भारत में तो सबेरे ८ बजे से ही गर्म हवा चलनी शुरू हो जाती है, जो देर शाम तक अनवरत जारी रहती है। जब तापमान बहुत ज्यादा हो, तब दवा-इलाज से अच्छा होता है निज द्वारा रखी गई सावधानी, क्योंकि जरा-सी असावधानी सेहत बिगाड़ सकती है-
-सर्वप्रथम कृपया कर कम से कम ४ घण्टे अर्थात १२ से ४ बजे के बीच घर, कमरे या ऑफिस के अंदर रहने का प्रयास करें।
-गर्मी के दिनों में अनर्थ टालने के लिए लगातार थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहना चाहिए। हमारे शरीर का तापमान ३७° किस तरह रह पाएगा, इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
-हर हालत में कम से कम ३ लीटर पानी जरूर पिएं।
-भीषण गर्मी में लू (हीट स्ट्रोक) की सम्भावना को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि रक्त दाब पर नजर रखें।
-पूरी तसल्ली के साथ ठण्डे पानी से नहाएं। हो सके तो प्रातः व रात दोनों समय नहाएं।
-गर्मी के मौसम में मौसमी फलों और हरी सब्जियों को भोजन में ज्यादा स्थान दें।
-शयन कक्ष एवं अन्य कमरों में कमरे की नमी बरकरार रखना भी आवश्यक है। इसके लिए आसान तरीका है कि २ आधे पानी से भरे ऊपर से खुले पात्रों को रख सकते हैं।
-गर्मी के मौसम में आवश्यक है अपने होंठों और आँखों को नम रखना।
-नारियल पानी, छाछ, बेल का शर्बत, गन्ने का रस वगैरह का सेवन करते रहना चाहिए। नींबू के शरबत को सर्वोत्तम पेय माना गया है।
-गर्मी में बासी भोजन नहीं करना है।
एक सलाह और कि जब भी पसीने से नहाए हुए हों अर्थात बाहर से आते ही पानी ना पिएं अन्यथा सर्द-गर्म वाली परेशानी हो जाएगी। इस हालत में शरीर को थोड़ा ठण्डा होने दें, फिर जल सेवन करें। अन्यथा दोनों नाक को २ अंगुलियों से बन्द कर पानी पी लें, ताकि सर्द-गर्म न हो।
सारी सावधानियों का पालन करते हुए ग्रीष्म ऋतु का भरपूर आनन्द ले सकते हैं। याद रखें-‘सावधानी हटी, विपदा हो जाएगी खड़ी।’

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