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नई दृष्टि देती हैं ‘कथा तरंग’ की कहानियाँ-डॉ. अग्रवाल

लोकार्पण…

जयपुर (राजस्थान)।

कहानीकारों ने कहानी के परंपरागत ढांचे को तोड़कर नए ढंग से लिखने का प्रयास किया है। इनमें नए प्रयोग किए गए हैं। पाठक भी एक ही धारा का नहीं होता, बल्कि उसकी रुचियाँ भी निरंतर बदलती रहती है। इसके माध्यम से कहानी को नए सिरे से समझा जा सकता है। यह कहानियाँ नई दृष्टि देती हैं।
मुख्य अतिथि और प्रतिष्ठित आलोचक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने यह बात प्रौढ़ शिक्षण समिति जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में सुप्रसिद्ध कथाकार अशोक आत्रेय, हेमंत शेष और सुभाष दीपक की २२ कहानियों से सजे कथा संग्रह ‘कथा तरंग’ के लोकार्पण अवसर पर कही। कथाकारों को बधाई देते हुए कहा डॉ. अग्रवाल ने संग्रह की भूमिका के लिए हेमंत शेष की सराहना की।समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ कवि व आलोचक कृष्ण कल्पित ने कहा कि तीनों लेखकों का समवेत संकलन अर्थ पूर्ण है। इसकी भूमिका में इस बात के संकेत हैं कि, वह कहानी के मौजूदा ढांचे से असंतुष्ट हैं। कल्पित ने कहा कि हिंदी गद्य को आज जब नष्ट किया जा रहा है, तब ऐसी कहानियां नई आशा जगाती है। ऐसे प्रयोग हिंदी कहानी में निरन्तर होते रहने चाहिए।
डॉ. राजाराम भादू, वरिष्ठ व्यंग्यकार फारूक आफरीदी के अलावा इस अवसर पर पत्रकार राजेन्द्र बोरा, प्रभाकर गोस्वामी और डॉ. सम्बोध गोस्वामी ने भी विचार व्यक्त किए। कथाकार आत्रेय ने ‘मोक्ष’, हेमंत शेष ने ‘खाली कमरा ‘ और सुभाष दीपक ने ‘वंदेमातरम’ कथा का पाठ किया। डॉ. प्रणु शुक्ला ने संग्रह पर पत्र वाचन करते हुए कहा कि यह संग्रह बुद्धि की तरकश और तर्क के तीरों से संयुक्त है। ये कहानियाँ हृदय तक उतरती हैं। संचालन व्यंग्यकार प्रभात गोस्वामी ने किया।

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