कुल पृष्ठ दर्शन : 7

You are currently viewing नसीब मेरा

नसीब मेरा

हीरा सिंह चाहिल ‘बिल्ले’
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
*********************************************

रचनाशिल्प: १२१२-२१२-१२२-१२१२-२१२-१२२…

मिले कभी तो मुझे मुहब्बत, सजा सके जो नसीब मेरा।
जिसे जरूरत मुहब्बतों की, बना रहे वो हबीब मेरा।

मिटे न मुश्किल मिले न मंजिल, रहा करे बेकरार ही दिल,
सजी न हालत दिले जहां की, मिले कहीं तो रकीब मेरा।

कहीं न होतीं इनायतें अब, मिलें सभी से कयामतें ही,
किसे दिखाऊं इबादतें मैं, बना रहे जो मुजीब मेरा।

खुदाई हरदम करम सजाती, मुहब्बतों पे जहान-ए-दिल की,
यकीन मुझको खुदी पे दिल की खुदा सजा दो नसीब मेरा।

मुझे न लगता सजे करिश्मा, बचा नहीं अब सब्र इतना,
सभी ‘चहल’ को अज़ीज़ लेकिन, न हाल अब हो अजीब मेरा॥

परिचय–हीरा सिंह चाहिल का उपनाम ‘बिल्ले’ है। जन्म तारीख-१५ फरवरी १९५५ तथा जन्म स्थान-कोतमा जिला- शहडोल (वर्तमान-अनूपपुर म.प्र.)है। वर्तमान एवं स्थाई पता तिफरा,बिलासपुर (छत्तीसगढ़)है। हिन्दी,अँग्रेजी,पंजाबी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री चाहिल की शिक्षा-हायर सेकंडरी और विद्युत में डिप्लोमा है। आपका कार्यक्षेत्र- छत्तीसगढ़ और म.प्र. है। सामाजिक गतिविधि में व्यावहारिक मेल-जोल को प्रमुखता देने वाले बिल्ले की लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल और लेख होने के साथ ही अभ्यासरत हैं। लिखने का उद्देश्य-रुचि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-कवि नीरज हैं। प्रेरणापुंज-धर्मपत्नी श्रीमती शोभा चाहिल हैं। इनकी विशेषज्ञता-खेलकूद (फुटबॉल,वालीबाल,लान टेनिस)में है।