कुल पृष्ठ दर्शन : 237

You are currently viewing नारी कभी ना हिम्मत हारी

नारी कभी ना हिम्मत हारी

राजबाला शर्मा ‘दीप’
अजमेर(राजस्थान)
*******************************************

नारी: मर्यादा, बलिदान और हौंसले की मूरत…

नारी कभी ना हिम्मत हारी,
हर दु:ख को सह जाती है
तूफानों से टकराती है वो,
कभी नहीं घबराती है।

नारी ऐसा कैनवास है,
अलग-अलग रंग हैं जिसके
दया, शील, ममता की मूरत,
क्षमा, त्याग जिसमें छलके
खुद पी जाती सारा हलाहल,
हमको सुधा पिलाती है।
तूफानों से टकराती है वो,
कभी नहीं घबराती है…॥

पद्मिनी-सा जौहर वह करती,
हाड़ी सी बलिदानी बनती
पन्ना-सा सुत अर्पण करती,
झांसी-सी प्राण निछावर करती
इतनी महिमामयी है नारी,
गुण, वेद ऋचाएं सुनाती है।
तूफानों से टकराती है वो,
कभी नहीं घबराती है…॥

कल्पना बन अंतरिक्ष में उड़ती,
बछेंद्री पाल बन एवरेस्ट चढ़ती
मैरी कॉम बन नाम कमाती,
फाॅगेट बन स्वर्ण पदक दिलाती
देश का नाम है करती रोशन,
देश पर मर-मिट जाती है।
तूफानों से टकराती है वो,
कभी नहीं घबराती है…॥

देश की आधी आबादी नारी,
फिर क्यों कहते हो बेचारी ?
अपना सम्मान मांगती है तो,
पुरुषों का क्यों अहम है भारी ?
शक्ति स्वरूपा, कोमल हृदया,
हर घर को स्वर्ग बनाती है।
तूफानों से टकराती है वो,
कभी नहीं घबराती है…॥

परिचय– राजबाला शर्मा का साहित्यिक उपनाम-दीप है। १४ सितम्बर १९५२ को भरतपुर (राज.)में जन्मीं राजबाला शर्मा का वर्तमान बसेरा अजमेर (राजस्थान)में है। स्थाई रुप से अजमेर निवासी दीप को भाषा ज्ञान-हिंदी एवं बृज का है। कार्यक्षेत्र-गृहिणी का है। इनकी लेखन विधा-कविता,कहानी, गज़ल है। माँ और इंतजार-साझा पुस्तक आपके खाते में है। लेखनी का उद्देश्य-जन जागरण तथा आत्मसंतुष्टि है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-शरदचंद्र, प्रेमचंद्र और नागार्जुन हैं। आपके लिए प्रेरणा पुंज-विवेकानंद जी हैं। सबके लिए संदेश-‘सत्यमेव जयते’ का है।

Leave a Reply