बबीता प्रजापति
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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आज एक पकौड़े से
मुलाकात हुई,
कढ़ाई में तैरते तैरते ही
बात हुई
हमने कहा-
बड़े मजे आते हैं तुम्हें
नमक-मिर्च लगाने में,
उसने भी कह दिया-
थोड़ा रुको!
अभी समय लगेगा
मुझे प्लेट में आने में।
तैरकर जब मैं
तेरी प्लेट में आऊँगा,
मुँह में खाना
मैं फिर बताऊंगा।
मैंने कहा-जल्दी बाहर आ
तुझे मज़ा आता है क्या,
चटनियों को इंतज़ार कराने में
वो शरमा गया,
लगा तेल में डुबकी लगाने में।
चटनियों ने जैसे ही
पकौड़े को छुआ,
दोनों में फिर कुछ-कुछ हुआ।
अरे! मेरी तो जीभ जल गई,
इनके इश्क़ लड़ाने में॥