कुल पृष्ठ दर्शन : 251

पश्चाताप-एक गलती का

विनोद वर्मा आज़ाद
देपालपुर (मध्य प्रदेश) 

************************************************

हैदराबाद ट्रेनिंग के दौरान एक महिला जो मिश्रा थी बिहार से, आयु भी करीब उस समय ५९ के आसपास थी। राखी का दिन था। केन्द्रीय सांस्कृतिक स्रोत प्रशिक्षण स्थल हैदराबाद की भोजनशाला में हम सभी ६२ साथी नाश्ता कर रहे थे,तभी बैठी संगीत शिक्षिका ने कहा-“विनोद भैया,आज क्या दिन है ?” मैंने कहा-“राखी!” इतना कहते ही वह-“भैया मोरे राखी के बंधन को निभाना” गीत गाने लगी,बहुत ही मधुर आवाज…उसमें दर्द भी छलक रहा था। गाते-गाते हम अधिकांश हिंदी भाषी राज्यों के प्रशिक्षणार्थियों की आँखों में आँसूओं का सैलाब उमड़ पड़ा,वहीं मिश्रा मैडम ने गीत पूर्ण करते हुए दहाड़े मार रोना शुरू कर दिया। बहुत देर तक दर्द को छलकने दिया।
साथी शिक्षक अच्युतानन्द मिश्रा बताने लगे,बहुत दु:खी है दीदी। इन्होंने भाई-भतीजों की गरीबी,लाचारी और बेरोजगारी के कारण भावनाओं में बहकर शादी नहीं की। संगीत शिक्षिका तो बन ही गई थी। परिवार के बारे में यह सोचकर कि,अभी बहुत समय है शादी कर लेंगे। पहले भाई-भतीजों के जीवन को संवार दूँ। ये सभी काम-धंधे से लग जाएंगे,तब विवाह के बारे में सोचूंगी और निर्णय करूंगी।
“बैठे-बिठाए मिले खाने को,
तो क्यों जाए कमाने को”
वाली उक्ति चरितार्थ होने लगी,समय बीतता गया,उम्र का एक ऐसा पड़ाव आया कि शादी की उम्र ही चली गई और “न हुए परिवार में भैया,ढूंढे लेकिन कहीं न मिले सैंया”…l
उम्र की इस दहलीज पर भतीजों उनकी बहुओं और सभी घर-परिवारजनों का व्यवहार बदल गया,ऐसा लगा सभी परिवार जन उन बहनजी पर एहसान कर रहे हों जैसे। हर महीने की एक तारीख पर वेतन सारा निकलवा लिया जाने लगा। खर्च और प्रेम को तरस गई आदरणीय बहनजी। कहते हुए मिश्रा जी भी कुछ अश्रु की बूंदें उंगलियों के पोर से उठाकर छिड़कते हुए बोले,वह जो जिंदगी की सबसे बड़ी गलती इन्होंने की है,उसी का पश्चाताप आज दहाड़े मार बह निकला रक्षाबंधन के दिन…l

परिचय-विनोद वर्मा का साहित्यिक उपनाम-आज़ाद है। जन्म स्थान देपालपुर (जिला इंदौर,म.प्र.) है। वर्तमान में देपालपुर में ही बसे हुए हैं। श्री वर्मा ने दर्शन शास्त्र में स्नातकोत्तर सहित हिंदी साहित्य में भी स्नातकोत्तर,एल.एल.बी.,बी.टी.,वैद्य विशारद की शिक्षा प्राप्त की है,तथा फिलहाल पी.एच-डी के शोधार्थी हैं। आप देपालपुर में सरकारी विद्यालय में सहायक शिक्षक के कार्यक्षेत्र से जुड़े हुए हैं। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत साहित्यिक,सांस्कृतिक क्रीड़ा गतिविधियों के साथ समाज सेवा, स्वच्छता रैली,जल बचाओ अभियान और लोक संस्कृति सम्बंधित गतिविधियां करते हैं तो गरीब परिवार के बच्चों को शिक्षण सामग्री भेंट,निःशुल्क होम्योपैथी दवाई वितरण,वृक्षारोपण,बच्चों को विद्यालय प्रवेश कराना,गरीब बच्चों को कपड़ा वितरण,धार्मिक कार्यक्रमों में निःशुल्क छायांकन,बाहर से आए लोगों की अप्रत्यक्ष मदद,महिला भजन मण्डली के लिए भोजन आदि की व्यवस्था में भी सक्रिय रहते हैं। श्री वर्मा की लेखन विधा -कहानी,लेख,कविताएं है। कई पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचित कहानी,लेख ,साक्षात्कार,पत्र सम्पादक के नाम, संस्मरण तथा छायाचित्र प्रकाशित हो चुके हैं। लम्बे समय से कलम चला रहे विनोद वर्मा को द.साहित्य अकादमी(नई दिल्ली)द्वारा साहित्य लेखन-समाजसेवा पर आम्बेडकर अवार्ड सहित राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा राज्य स्तरीय आचार्य सम्मान (५००० ₹ और प्रशस्ति-पत्र), जिला कलेक्टर इंदौर द्वारा सम्मान,जिला पंचायत इंदौर द्वारा सम्मान,जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा सम्मान,भारत स्काउट गाइड जिला संघ इंदौर द्वारा अनेक बार सम्मान तथा साक्षरता अभियान के तहत नाट्य स्पर्धा में प्रथम आने पर पंचायत मंत्री द्वारा १००० ₹ पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही पत्रिका एक्सीलेंस अवार्ड से भी सम्मानित हुए हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-एक संस्था के जरिए हिंदी भाषा विकास पर गोष्ठियां करना है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा के विकास के लिए सतत सक्रिय रहना है।

Leave a Reply