कुल पृष्ठ दर्शन : 868

You are currently viewing पिसता रहा है आम इंसान

पिसता रहा है आम इंसान

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
******************************************

मैं दिन-रात परिश्रम करता,
संतुष्ट रहता जो भी मिलता
अधिक खुशी की नहीं कामना,
जाना है दु:ख में भी खुशी से जीना।

मैं हूँ बहुत ही सीधा-सादा,
छल प्रपंच नहीं हमें है आता
सत्य पथ पर सदा चलता हूँ,
सरल समझ छला जाता हूँ।

पर दुनिया में है सर्वत्र स्वार्थ का ठेला,
गोरे हो रहे काले, कालों का बोलबाला
इनके बीच धीरे-धीरे पिस रहा हूँ मैं,
मान-सम्मान सब अब खो रहा हूँ मैं।

मै हूँ एक आम इंसान,
दिखता नहीं कहीं ईमान
मेरी मेहनत की कद्र नहीं,
बेईमानों के सिवा भद्र नहीं।

कभी नेताओं के तो कभी अफसरों के,
कभी किसी दुष्ट के, कभी रूष्टों के समक्ष।
अब मजबूरन झुकता रहा है आम इंसान,
देखो आज, पिसता रहा है आम इंसान॥

परिचय– साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैL जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैL भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैL साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैL आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैL सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंL लेखन विधा-कविता एवं लेख हैL इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैL पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंL विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

Leave a Reply