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पूर्ण हुई मंशा सकल

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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तिलक किया है सूर्य ने, राम ललाम ललाट,
किरणों के अभिषेक से, हँसे भुवन सम्राट।

नवमी तिथि शुभ चैत में, मंद- मंद मुस्कान,
शोभा अद्भुत पा रहा, सुन्दर रूप विराट।

रज रज माणिक स्वर्ण है, अवध अनोखा धाम,
जैसे धीरज राम में, सरयू बहे सपाट।

भोर भजन किर्तन करें, बजे शंख‌ बृजघंट,
लाल भया दशरथ यहाँ, दानव हुये उचाट।

सुमन देव बरसा रहे, नाच रहे गंधर्व,
पवन झुलाने पालना, खोला धिमे कपाट।

वृक्ष लदे फल-फूल से, हर्ष भरे हर जीव,
हीरा उगल रही धरा, रहा अमृत बह घाट।

युग से जन की कामना, भव्य बना दरबार,
पूर्ण हुई मंशा सकल, जोह रहे थे बाट॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।