हेमराज ठाकुर
मंडी (हिमाचल प्रदेश)
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दूषित धारा को करने वालों, कुदरत का कहर तो बरपेगा,
दूसरों के दर्द से दर्द न होगा, निज पीड़ा से आँसू ढरकेगा।
इन मौन गगन को चूमने वाले, पेड़ों की महत्ता कुछ तो जानो,
जल-प्राण रगों में बहने वाले, इनकी देन है यह तो पहचानो।
माना कि लकड़ी जरूरत है, बेवजह से तो न इनको काटो,
काट-काट कर इनको यारों, जीवन के बीच में खाई न पाटो।
इस धरती के सौंदर्य की खातिर,पेड़-पौधे तुम खूब लगाओ,
मानव-मानव में चेतना भर दो, जल-वायु का संकट हटाओ।
अवैध खनन और अंधा विकास भी, कहां खतरे से खाली है ?
चुन-चुनकर लेगा बदला हमसे, बैठा अम्बर में वह माली है।
उसकी लाठी आवाज न करती, पर पीड़ा बहुत ही भारी है,
कई बार झेली ये पीड़ा सबने, हमको भूलने की बीमारी है॥