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प्रीत के रंग

डॉ.शैल चन्द्रा
धमतरी(छत्तीसगढ़)
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रंग और हम(होली स्पर्धा विशेष )

फागुन आया बैठे सतरंगी डोली,
रंगों की थाल लिये आई होली।

तितलियां झूमें,भ्रमर करे गुंजन।
बाजे ढोल नगाड़े,हर्षित हैं जन-जन।

आम्र मंजरी झूमें,कुहके कोयल डाली-डाली,
वासन्ती पवन हुई,मदमस्त मतवाली।

पपीहा टेर लगाये,विहंग गाते छंद,
उपवन में पुष्पित पुष्प बिखराये सुगन्ध।

रंग बरसे,उमंग बरसे चहुँ ओर,
हर्षित मन नाचे जैसे हो मोर।

खुशियों के रंग भर,
जीवन को बना लो रंगोली।

तन-मन प्रीत के रंग रंग लो,
आये न फिर ऐसी होली॥

परिचय-डॉ.शैल चन्द्रा का जन्म १९६६ में ९ अक्टूम्बर को हुआ है। आपका निवास रावण भाठा नगरी(जिला-धमतरी, छतीसगढ़)में है। शिक्षा-एम.ए.,बी.एड., एम.फिल. एवं पी-एच.डी.(हिंदी) है।बड़ी उपलब्धि अब तक ५ किताबें प्रकाशित होना है। विभिन्न कहानी-काव्य संग्रह सहित राष्ट्रीय स्तर के पत्र-पत्रिकाओं में डॉ.चंद्रा की लघुकथा,कहानी व कविता का निरंतर प्रकाशन हुआ है। सम्मान एवं पुरस्कार में आपको लघु कथा संग्रह ‘विडम्बना’ तथा ‘घर और घोंसला’ के लिए कादम्बरी सम्मान मिला है तो राष्ट्रीय स्तर की लघुकथा प्रतियोगिता में सर्व प्रथम पुरस्कार भी प्राप्त किया है।सम्प्रति से आप प्राचार्य (शासकीय शाला,जिला धमतरी) पद पर कार्यरत हैं।

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