बबीता प्रजापति
झाँसी (उत्तरप्रदेश)
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आया मनभावन वसन्त…
कली-कली झूम उठेगी,
कलियों को मुस्काने दो
फिर झूमेंगे नव बौर तरु में,
उस बसन्त को आने दो।
कोयल फिर कुहकेगी डालों पर,
कोयल को टेर लगाने दो
फिर झूमेंगे नव बौर तरु में,
उस बसंत को आने दो।
ढाक पलाश टेसू खिले,
धरती को मुस्काने दो।
फिर झूमेंगे नव बौर तरु में,
उस बसन्त को आने दो॥