कुल पृष्ठ दर्शन : 215

You are currently viewing बदला जाता है जग सारा

बदला जाता है जग सारा

दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’
दौसा(राजस्थान)
*****************************************

गुजर गया वह समय पुराना,यह भी गुजरा जाता है,
बदला जाता है जग सारा,नया रूप झलकाता है।

बैठे तरुवर की छाया में,संगत करते थे बातें,
अपनी-अपनी सब कहते थे,कथा सुनाती थी रातें।

किस्से व कहानी सुनने को,हृदय बहुत मचलाता है,
बदला जाता है जग सारा,नया रूप झलकाता है।

डिजिटल हो गया अब आदमी,मोबाइल की दुनिया में,
राम नाम सब को छोड़ दिया,हैलो-हैलो दुनिया में।

तोड़ के सारे बंधन को अब,बहुत बहुत इठलाता है,
बदला जाता है संसार अब,नया रूप झलकाता है।

व्हाट्सएप्प व ई-मेल ने,बदल दिया अब दुनिया को,
घर बैठे ही चैटिंग करते,क्यूँ समझाए दुनिया को।

प्रहार कर श्वेत कपोतों पर,लिखे खत भुला जाता है,
बदला जाता है संसार अब,नया रूप झलकाता है।

बचपन में था अमीर पहले,हवाईजहाज उड़ाता,
पानी में कागज की किश्ती,भव से पार उतर जाता।

दिन-रात करी कमाई और,संध्या को दे जाता है,
बदला जाता है संसार अब,नया रूप झलकाता है।

गीतों के संग कुँए घाट पर,भरती पनिहारी पानी,
पोखर नदियां सूख गए और,याद दिला दी अब नानी।

कौन भरे अब नल से गागर,फिल्टर पानी आता है,
बदला जाता है संसार अब,नया रूप झलकाता है॥

Leave a Reply