डॉ. कुमारी कुन्दन
पटना(बिहार)
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आया मनभावन वसंत…
मधु गंध से बौराई पवन,
देखो मस्त मगन हो डोले
मनभावन बसंत है आया,
कान में हौले-हौले बोले।
मौसम ने बदली है करवट,
धरती के भी भाग जगे हैं
लद गई सब, सूखी शाखाएं
नव पल्लव, फिर आ लगे हैं।
अमवा डाली बैठी कोयल,
बैरी प्रीत की बोली बोले
पुष्प रस पाने को मधुकर,
कलियों के घूँघट खोले।
रंग-रंगीली प्यारी तितली,
इत-उत डाल पर डोले
खग-वृंद कलरव की ध्वनि,
कानों में मधु रस घोले।
रंग-बिरंगे फूल उपवन में,
मनमोहिनी छटा बिखराए
आते ही वसंत, निखर उठे,
जीव-जन्तु भी, सब हर्षाए।
बौरों से लद गई डालियाँ,
पीली सरसों खेत में झूले
महुए की भीनी-सी खुशबू,
मादकता, बयार में घोले।
दूर हुई नीरसता मन की,
नव उत्साह, स्फूर्ति-सी लाई।
नव सृजन का लिए सन्देशा,
मानो प्रकृति श्रंगार कर आई॥