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‘भारतीय भाषा दिवस’ पर किया कवितामय आयोजन

हैदराबाद (तेलंगाना)।

वैश्विक हिन्दी परिवार के तत्वावधान में भारतीय भाषाओं में समन्वय और सौहार्द की दृष्टि से भारत सरकार के निर्णय के अनुसार वैश्विक परिप्रेक्ष्य में ‘भारतीय भाषा दिवस’ का कवितामय आयोजन किया गया। अध्यक्षता हिन्दी के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. टी.आर. भट्ट ने की।
आपने सभी को इस उत्सव की बधाई देते हुए भारतीय भाषाओं को समृद्ध करने और भाषाई सौहार्द बनाए रखने की अपील की। उन्होंने भाषा सहोदरी के रूप में सभी भारतीय भाषाओं को एक ही परिवार से उद्भूत बताया।
मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के सहसंयोजक ए. विनोद ने सामासिक संस्कृति की अक्षुण्णता के लिए एक से अधिक भारतीय भाषाएँ सीखने को प्रेरित किया। सानिध्यप्रदाता अनिल जोशी ने रचना ‘मोर्चे’ पर सुनाकर भाषाई मोर्चे को मजबूत बनाने हेतु सबके अंतस को आंदोलित किया।
महाकवि चिन्नस्वामी सुब्रमण्य भारती के व्यक्तित्व और कृतित्व पर पांडिचेरी विवि से प्रो. सी.जय शंकर बाबू ने उनके जन्म से लेकर आखिरी क्षण तक की मात्र ३९ वर्षीय जीवन यात्रा को प्रेरणापुंज की संज्ञा दी।
इस अवसर पर लंदन से जुड़ीं तेलुगू कवयित्री डॉ. रागसुधा विंजमूरी ने ‘सुधा’ कविता से ‘कुछ भी नहीं असंभव, कुछ भी नहीं असाध्य’, सुनाकर भाव-विभोर किया। नीदरलैंड से डॉ. मानसी सगदेव, दुबई से लता रजित, टोरंटो से सुरजीत कौर और अमेरिका से वैज्ञानिक-कवि डॉ. अब्दुल्लाह आदि ने भी अपनी रचनाओं से मिठास घोली। डॉ. शैलेजा सक्सेना द्वारा विषय प्रवर्तन और सारगर्भित शुरुआत के साथ आत्मीय स्वागत वक्तव्य दिया गया।
समूचा कार्यक्रम विश्व हिन्दी सचिवालय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद और केंद्रीय हिन्दी संस्थान के सहयोग से वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष अनिल जोशी के सान्निध्य में हुआ।

साहित्यकार आराधना झा श्रीवास्तव ने बखूबी संचालन किया। कर्नाटक से डॉ. जय शंकर यादव ने सबके प्रति कृतज्ञता प्रकट की।