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भारी पड़ गया पैसा

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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मैं कौन और तुम कौन हो…
ये रिश्ता-नाता कैसा ?
ठीक ढंग से जाँचा-परखा तो,
भारी पड़ गया पैसा।

बिन काम लोग बात ना करते,
रिश्ता-नाता ताक पर धरते
पैसे अगर नहीं दिए तो,
रिश्तों का ये खून हैं करते।

कहे ‘उमेश’ कि समझ ना आए,
मानव इतना क्यों गिर जाए ?
बचपन में जो घुल-मिल खाएं,
होते युवा सब क्यों बिसराएं…?

कहे ‘उमेश’ देव करो सहाई!
करें ना भेद आपस में भाई
वरना अब तक की सब की-कराई,
पलभर में मिट्टी में मिल जाई।

‘उमेश’ निवेदन करते एक,
ज्ञान नहीं तुम रखो विवेक
अच्छे-बुरे की परख करो तुम,
रिश्ते हरदम रहेंगे नेक।

मन के भाव मन में मत रखो,
फासला ऐसे बढ़ जाता है
मन के भाव अगर प्रकट किए तो,
समाधान गढ जाता है।

कहे ‘उमेश’ कि सुनो हे संतों,
मिलकर रहो तो भला हो जाए।
अगर दुराव बढ़ा आपस में तो,
बैरी को मौका मिल जाए॥

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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