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भीगता सावन

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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मुझको पागल बना गया
ये भीगता सावन,
कुछ अमिट याद बना गया
ये भीगता सावन,
आँखों को बरसना आ गया
नन्हीं बूंदों का नजारा भा गया,
हर कोई कहने लगा-
लो सावन आ गया।
ये भीगता सावन…

काली घटाओं से सँवरना आ गया
मेघों-सा बरसना आ गया,
सुन बूंदों की पुकार
हर कोई कहने लगा-
लो सावन आ गया।
ये भीगता सावन…

बहना को भाई की याद
सजनी को साजन की याद
दिला गया,
देखी राखी की कतार
हर कोई कहने लगा-
लो सावन आ गया।
ये भीगता सावन…

राहों में फूलों की कतार
पेड़ों में झूलों की बहार,
कोई मनभावन गीत गा गया
हर कोई कहने लगा-
लो सावन आ गया।
ये भीगता सावन…॥

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।

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