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सच में महादेव हो तुम

सौदामिनी खरे दामिनी
रायसेन(मध्यप्रदेश)

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ॐनमःशिवाय पंचाक्षरी मंत्र है,
जपे जो शान्ति पावे।
महामृत्युंजय मंत्र जाप से,
अकाल मृत्यु कट जावे।
कालों के महाकाल हो,
सच में महादेव हो तुम।
करते दया तुम सब पर,
भोले हो औघड़ दानी।
जटों विच गंगा बहाते,
भोले भस्मी को अंग रमातेl
तुम देवों के देव कहाते,
सच में महादेव हो तुम।
देखी जो तुम्हारी सूरत,
सती के मन को मोहा।
दिल से तुम्हीं को ध्याया,
सती तज कर दक्ष गृह को।
अर्धांगनी आशुतोष कहाती,
सच में महादेव हो तुम।
जब दक्ष ने यज्ञ रचाया,
भोले को नहीं बुलाया।
सती के हृदय क्रोध न समाया,
यज्ञ में कूद गयीं सती जबl
आपने तांडव कर डाला,
सच में महादेव हो तुम।
समुद्र मंथन करवाया,
चौदह रत्न दिये सागर ने।
सागर में विष कर डाला,
उसे भोले ने पी डाला।
तेरी महिमा कही न जावे,
सच में महादेव हो तुम।
गणपति कार्तिकेय के पप्पा,
नंदी की करो सवारी।
तुम हो त्रिशूल धारी,
तुम गोरा के सजन कहावे।
दुनिया जयकारा लगावे,
सच में महादेव हो तुमll

परिचय-सौदामिनी खरे का साहित्यिक उपनाम-दामिनी हैl जन्म-२५ अगस्त १९६३ में रायसेन में हुआ हैl वर्तमान में जिला रायसेन(मप्र)में निवासरत सौदामिनी खरे ने स्नातक और डी.एड. की शिक्षा हासिल की हैl व्यवसाय-कार्यक्षेत्र में शासकीय शिक्षक(सहायक अध्यापक) हैंl आपकी लेखन विधा-गीत,दोहा, ग़ज़ल,सवैया और कहानी है। ब्लॉग पर भी लेखन में सक्रिय दामिनी की लेखनी का उद्देश्य-लेखन कार्य में नाम कमाना है।इनके लिए प्रेरणापुन्ज-श्री प्रभुदयाल खरे(गज्जे भैया,कवि और मामाजी)हैंl भाषा ज्ञान-हिन्दी का है,तो रुचि-संगीत में है।

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