कुल पृष्ठ दर्शन : 365

You are currently viewing मणिपुर की दरिंदगी

मणिपुर की दरिंदगी

आशा आजाद`कृति
कोरबा (छत्तीसगढ़)
****************************

दरिंदगी अरु खेल तमाशा।
नारी रोती टूटे आशा।
जानवरों से बत्तर जानें।
मणिपुर की यह घटना जानें॥

आज देश फिर हुआ कलंकित।
निर्लज मानव में कुछ अंकित।
अनाचार की सीमा तोड़े।
दरिंदगी से नाता जोड़े॥

नारी को अब कौन बचाये।
जात-पात में नोचें खाये।
नीच मनुज कुछ ऐसे होते।
नग्न करें मानवता खोते॥

पापी की भी होगी माता।
अन्य नार का वस्त्र हटाता।
बीच चौराहे उसे जलाओ।
अंग काटकर नमक लगाओ॥

नंपुसंक है ऐसे मानव।
नीच सों? च से बनते दानव।
कौन कहे हमको आजादी।
देखो बेटी की बर्बादी॥

रूह कांपती घटना सुनकर।
अंग नोचते सब मिल-जुलकर।
तार-तार अस्मत को करते।
नहीं पाप करने से डरते॥

नग्न अवस्था देख रहे जो।
मौन रहे कुछ नहीं कहे जो।
उसे जलाओ अब चौराहे।
मौत मांग ले खोले बाँहें॥

राजनीति को आग लगाओ।
नेता कपटी उसे भगाओ।
सत्ता का है लोभ समाया।
नारी लज्जित यह दिखलाया.

कहते मोदी आज पढ़ाओ।
बेटी को भी नित्य बचाओ।
हर क्षण लुटती बेटी नारी।
रहीं नहीं अब वो अवतारी॥

सख्त आज कानून बनाओ।
बेटी को हथियार थमाओ।
कुटिल नजर पर वार करेगी।
नंपुसंकता नहीं सहेगी॥

देख आज यह निर्मम घटना।
नेताओं का पीछे हटना।
न्याय मांगती क्रोधित नारी।
कैसी कलयुग में लाचारी॥

नन्हीं बच्ची बहन समाता।
कौन समझता है शुभ नाता।
बीच नार के वस्त्र उतारे।
कौन कहो दानव संहारे॥

जब तक होगें नेता ऐसे।
सत्ता अरु चाहें वे पैसे।
तार-तार होती है निसदिन।
थकते अब घटना को गिन-गिन॥

कैसी पीड़ा उनको होती।
जगहजगह यह अस्मत खोती।
भारत की बेटी कहलाते।
जिस्म नोंचकर दानव खाते॥

कहाँ छिपा भगवान बताओ।
ईश्वर है आभास कराओ।
नग्न अवस्था पीड़ित नारी।
धरती पर उजड़े फुलवारी॥

भारत में क्या नार सुरक्षित।
रक्षित ही बन जाते भक्षित॥
आँखो में नित दर्द सताये।
हर क्षण घटना दुख पहुँचाए॥

पाप देख कवि कलम उठाओ।
नारी को अधिकार दिलाओ।
शब्द-शब्द में न्याय दिखाओ।
नारी का सम्मान बचाओ॥

परिचय–आशा आजाद का जन्म बाल्को (कोरबा,छत्तीसगढ़)में २० अगस्त १९७८ को हुआ है। कोरबा के मानिकपुर में ही निवासरत श्रीमती आजाद को हिंदी,अंग्रेजी व छत्तीसगढ़ी भाषा का ज्ञान है। एम.टेक.(व्यवहारिक भूविज्ञान)तक शिक्षित श्रीमती आजाद का कार्यक्षेत्र-शा.इ. महाविद्यालय (कोरबा) है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आपकी सक्रियता लेखन में है। इनकी लेखन विधा-छंदबद्ध कविताएँ (हिंदी, छत्तीसगढ़ी भाषा)सहित गीत,आलेख,मुक्तक है। आपकी पुस्तक प्रकाशाधीन है,जबकि बहुत-सी रचनाएँ वेब, ब्लॉग और पत्र-पत्रिका में प्रकाशित हुई हैं। आपको छंदबद्ध कविता, आलेख,शोध-पत्र हेतु कई सम्मान-पुरस्कार मिले हैं। ब्लॉग पर लेखन में सक्रिय आशा आजाद की विशेष उपलब्धि-दूरदर्शन, आकाशवाणी,शोध-पत्र हेतु सम्मान पाना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जनहित में संदेशप्रद कविताओं का सृजन है,जिससे प्रेरित होकर हृदय भाव परिवर्तन हो और मानुष नेकी की राह पर चलें। पसंदीदा हिन्दी लेखक-रामसिंह दिनकर,कोदूराम दलित जी, तुलसीदास,कबीर दास को मानने वाली आशा आजाद के लिए प्रेरणापुंज-अरुण कुमार निगम (जनकवि कोदूराम दलित जी के सुपुत्र)हैं। श्रीमती आजाद की विशेषज्ञता-छंद और सरल-सहज स्वभाव है। आपका जीवन लक्ष्य-साहित्य सृजन से यदि एक व्यक्ति भी पढ़कर लाभान्वित होता है तो, सृजन सार्थक होगा। देवी-देवताओं और वीरों के लिए बड़े-बड़े विद्वानों ने बहुत कुछ लिख छोड़ा है,जो अनगिनत है। यदि हम वर्तमान (कलयुग)की पीड़ा,जनहित का उद्धार,संदेश का सृजन करें तो निश्चित ही देश एक नवीन युग की ओर जाएगा। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा से श्रेष्ठ कोई भाषा नहीं है,यह बहुत ही सरलता से मनुष्य के हृदय में अपना स्थान बना लेती है। हिंदी भाषा की मृदुवाणी हृदय में अमृत घोल देती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की ओर प्रेम, स्नेह,अपनत्व का भाव स्वतः बना लेती है।”