दिनेश कुमार प्रजापत ‘तूफानी’
दौसा(राजस्थान)
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हो हरित वसुन्धरा…..
चाहते हो दुरुधरा हो हरित वसुन्धरा,
जीवन को जीना है तो कल होना चाहिए।
जिंदगी है बचानी तो मत करो मनमानी,
शुद्ध वायु वाला हर पल होना चाहिए।
खा गए जड़, तना, पत्ती और टहनियाँ,
फूल जो बचाया है तो फल होना चाहिए।
सूख गए ताल-तलैया और नदियाँ प्यारे,
बचाना है इनको तो जल होना चाहिए॥