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मधुमेह में लाभकारी आम के पत्ते

डॉ.अरविन्द जैन
भोपाल(मध्यप्रदेश)
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आम को हमारे यहाँ फलों का राजा कहते हैं। आम के कई प्रकार होते हैं और हमारे यहाँ कई धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम में आम के पत्ते की वंदनवार का उपयोग किया जाता है, जो शुभ मानते हैं, पर आजकल आम के पत्तों का उपयोग हम मधुमेह में कर सकते हैं। आम के पत्तों में ज़ैंथोनोइड्स, मैंगिफेरिन और गैलिक अम्ल सहित महत्वपूर्ण पॉलीफेनोल सामग्री भी होती है।

हमारा देश मधुमेह की राजधानी बनने को अग्रसर है। आज हर पांचवा व्यक्ति इस रोग से ग्रसित है, जिसमें हमारी जीवनशैली ,खान-पान का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसका इलाज़ जीवन-शैली और आहार में सुधार से हो सकता है। आजकल एलोपैथी में अधिक भरोसा होने से उस पर निर्भर हो चुके हैं। आयुर्वेदानुसार ‘भाव प्रकाश’ ग्रन्थ में आम के पत्ते से भी मधुमेह का इलाज़ किया जाता है। हमारे देश में आम के वृक्ष बहुतायत में हैं तो उनकी पत्तियों का उपयोग हम कर सकते हैं।
मधुमेह के कारण खाना खाने के बाद खून में शर्करा का स्तर तेजी से बढ़ता है, लेकिन आम के पत्तों का इस्तेमाल इसे हमेशा नियंत्रण में रखता है। मधुमेह में खाने से पहले और बाद में रक्त शर्करा उच्च रहने लगती है। खून में ग्लूकोज का उच्च स्तर नसों को कमजोर बना देता है और धीरे-धीरे दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचने लगता है, पर आम के पत्तों का इस्तेमाल करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
हर चीज में थोड़ा या ज्यादा ग्लूकोज (शर्करा) होता है, जो खाने के बाद खून में घुलने लगता है। शरीर में मौजूद ‘इंसुलिन’ हॉर्मोन इसे नियंत्रित करके धीरे-धीरे इस्तेमाल करने लायक बनाता है। जब इंसुलिन का उत्पादन कम हो जाता है या फिर बेअसर हो जाता है, तो खाद्य पदार्थों में मौजूद शर्करा खून में तेजी से घुलती है और ये स्थिति मधुमेह कहलाती है।
आम के पत्तों में विभिन्न फाइटोकेमिकल होते हैं, जिनमें एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं। इनके अंदर मैंगीफेरिल घटक भी होता है, जो शरीर में इंसुलिन का असर बढ़ाता है और शर्करा को नियंत्रण में रखता है। मधुमेह का रक्त ग्लूकोज मीठी चीजें खाने के बाद एकदम ऊंचा हो जाता है, जो शरीर के लिए खतरनाक है, मगर अध्ययन कहता है कि आम के पत्तों का इस्तेमाल खाने के बाद भी रक्त शर्करा को नियंत्रित रखने में मदद करता है।
शोध में आगे बताया गया है कि शर्करा नियंत्रण के अलावा आम के पत्ते लिपिड प्रोफाइल को भी सुधारते हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर भी नियंत्रण में आ जाता है, साथ में मोटापे से भी बचाव कर सकते हैं।
मधुमेह में आम के पत्तों का रस फायदेमंद होता है। इसे निकालने के लिए २ तरीके हैं। पहला-१०-१५ पत्तों को सिलबट्टे पर पीस लें और फिर इन्हें निचोड़कर रस निकालें, और खाली पेट रस का सेवन करें। दूसरा-१०-१५ पत्ते लेकर १ गिलास पानी में तब तक उबालें, जब तक पानी आधा नहीं हो जाता। फिर इसे ढक कर रातभर छोड़ दें। सुबह खाली पेट इसे छानकर पी लें।

परिचय- डॉ.अरविन्द जैन का जन्म १४ मार्च १९५१ को हुआ है। वर्तमान में आप होशंगाबाद रोड भोपाल में रहते हैं। मध्यप्रदेश के राजाओं वाले शहर भोपाल निवासी डॉ.जैन की शिक्षा बीएएमएस(स्वर्ण पदक ) एम.ए.एम.एस. है। कार्य क्षेत्र में आप सेवानिवृत्त उप संचालक(आयुर्वेद)हैं। सामाजिक गतिविधियों में शाकाहार परिषद् के वर्ष १९८५ से संस्थापक हैं। साथ ही एनआईएमए और हिंदी भवन,हिंदी साहित्य अकादमी सहित कई संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। आपकी लेखन विधा-उपन्यास, स्तम्भ तथा लेख की है। प्रकाशन में आपके खाते में-आनंद,कही अनकही,चार इमली,चौपाल तथा चतुर्भुज आदि हैं। बतौर पुरस्कार लगभग १२ सम्मान-तुलसी साहित्य अकादमी,श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य,वरिष्ठ साहित्कार,उत्कृष्ट चिकित्सक,पूर्वोत्तर साहित्य अकादमी आदि हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी अभिव्यक्ति द्वारा सामाजिक चेतना लाना और आत्म संतुष्टि है।

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