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ममता का आँचल

सुशीला रोहिला
सोनीपत(हरियाणा)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


माँ स्वर नहीं मातृत्व की झलक है,
माँ शिशु का सृष्टि में प्रथम क्रंदन है
माँ वात्सल्य रस का मधुर रस है,
माँ सृष्टि का ना आदि-अन्त है।

माँ पीड़ा की हरण है,
माँ का चुंबन ब्रह्मांड है
माँ ममता का समन्दर है,
माँ का आँचल सुख की नींद है।

माँ ज्ञानदात्री,कर्मविधाता है,
माँ भविष्य की निर्माता है
माँ की मुट्ठी में तीन लोक,
ब्रह्म,विष्णु और महेश।

माँ गंगा की धार,प्रेम का अवतार,
माँ करूण रस,ज्ञान का प्रकाश
माँ अन्न का भंडार,सबका रखे ध्यान,
माँ में दुग्ध की रसधार,विश्व की पालनहार।

माँ का सब रखें ध्यान,
बच्चे बूढ़े और जवान
भारतमाता की बढ़ाए शान,
माँ की करें हम पूजा
और नहीं कोई कर्म दूजा।

नित उठ मात-पिता को शीश झुकाएं,
चरण-रज मस्तक पर लगाएँ।
माँ के दूध का कर सम्मान,
सदभावना की बनें मिसाल॥

परिचय-सुशीला रोहिला का साहित्यिक उपनाम कवियित्री सुशीला रोहिला हैl इनकी जन्म तारीख ३ मार्च १९७० और जन्म स्थान चुलकाना ग्राम हैl वर्तमान में आपका निवास सोनीपत(हरियाणा)में है। यही स्थाई पता भी है। हरियाणा राज्य की श्रीमती रोहिला ने हिन्दी में स्नातकोत्तर सहित प्रभाकर हिन्दी,बी.ए., कम्प्यूटर कोर्स,हिन्दी-अंंग्रेजी टंकण की भी शिक्षा ली हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी विद्यालय में अध्यापिका(हिन्दी)हैंl सामाजिक गतिविधि के तहत शिक्षा और समाज सुधार में योगदान करती हैंl आपकी लेखन विधा-कहानी तथा कविता हैl शिक्षा की बोली और स्वच्छता पर आपकी किताब की तैयारी चल रही हैl इधर कई पत्र-पत्रिका में रचनाओं का प्रकाशन हो चुका हैl विशेष उपलब्धि-अच्छी साहित्यकार तथा शिक्षक की पहचान मिलना है। सुशीला रोहिला की लेखनी का उद्देश्य-शिक्षा, राजनीति, विश्व को आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार मुक्त करना है,साथ ही जनजागरण,नारी सम्मान,भ्रूण हत्या का निवारण,हिंदी को अंतर्राष्ट्रीय भाषा बनाना और भारत को विश्वगुरु बनाने में योगदान प्रदान करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-हिन्दी है l आपकी विशेषज्ञता-हिन्दी लेखन एवं वाचन में हैl

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