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माँ का स्नेह

मनोरमा चन्द्रा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………


माँ करती स्नेह अपार,
बच्चों पर बरसाती प्यार।
पालन-पोषण कर बच्चों का,
फर्ज निभा चलाती घर-बार।

संकटों से रक्षा करती,
नित मेहनत कर पेट भरती।
रूठ जाने पर अपने बच्चों को,
हँस कर खूब मनाया करती।

स्नेही करुणामयी होती माँ,
खुद भूखी रह भोजन बनाती।
अपने हिस्से का खाना खिला,
बच्चों से वह नेह लड़ाती।

माँ की ममता का मोल नहीं,
मुश्किल पलों से बचा लेती।
चरित्रवान बना बच्चों को,
शिक्षा संस्कार सब भर देती।

माता,जननी,धात्री कहाती,
पूत को अपने हृदय से लगाती।
शुभ आशीष दे अंतर्मन से,
वात्सल्य प्रेम की धारा बहाती॥

परिचय-श्रीमति मनोरमा चन्द्रा का जन्म स्थान खुड़बेना (सारंगढ़),जिला रायगढ़ (छग) तथा तारीख २५ मई १९८५ है। वर्तमान में रायपुर स्थित कैपिटल सिटी (फेस-2) सड्डू में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-जैजैपुर (बाराद्वार),जिला जांजगीर चाम्पा (छग) है। छत्तीसगढ़ राज्य की श्रीमती चंद्रा ने एम.ए.(हिंदी) सहित एम.फिल.(हिंदी व्यंग्य साहित्य), सेट (हिंदी)सी.जी.(व्यापमं)की शिक्षा हासिल की है। वर्तमान में पी-एचडी. की शोधार्थी(हिंदी व्यंग्य साहित्य) हैं। गृहिणी व साहित्य लेखन ही इनका कार्यक्षेत्र है। लेखन विधा-कहानी,कविता,हाइकु,लेख (हिंदी,छत्तीसगढ़ी)और निबन्ध है। विविध रचनाओं का प्रकाशन कई प्रतिष्ठित दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में छत्तीसगढ़ सहित अन्य क्षेत्रों में हुआ है। आप ब्लॉग पर भी अपनी बात रखती हैं। इनके अनुसार विशेष उपलब्धि-विभिन्न साहित्यिक राष्ट्रीय संगोष्ठियों में भागीदारी व शोध-पत्र प्रस्तुति,राष्ट्रीय-अंतर्राष् ट्रीय पत्रिकाओं में १३ शोध-पत्र प्रकाशन व  साहित्यिक समूहों में लगातार साहित्यिक लेखन है। मनोरमा जी की लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा को लोगों तक पहुँचाना व साहित्य का विकास करना है।

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