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मत जाओ माँ

राजेश पड़िहार
प्रतापगढ़(राजस्थान)
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मातृ दिवस स्पर्धा विशेष…………

सुनाकर बोल,
दिखायेगा
कौन आँखें।
सागर-सी,
गहरी होती है
तुम्हारी
मौन आँखें।
माँ,
मैं एक आवाज से
आ जाऊंगा
दौड़कर।
मत जाओ,
माँ
मुझे छोड़कर।

हर बात,
तुुम्हारी
कभी नहीं
मैं टालूँगा।
माँ,
मैं गलती को
छोटे पर भी,
नहीं डालूंगा।
कुछ कहो
माँ,
सोई क्यों मुँह
मोड़कर।
मत जाओ,
माँ
मुझे छोड़कर।

वह कौन जो,
मिट्टी से मैल
छुड़ायेगा।
मैं रो दूंगा
रात को,
मुझे कौन
सुलायेगा।
क्यों जा रही
माँ,
यूँ प्रीत
तोड़कर।
मत जाओ,
माँ
मुझे छोड़कर।

वो रात को,
यदि मैं
आया लेट।
तो बता,
कौन करेगा
मेरा वेट।
लाभ-हानि,
गुणा भाग
न घटा अब,
न जोड़कर।
मत जाओ,
माँ
मुझे छोड़कर।

कलेजे के टुकड़े का,
क्यों कलेजा
दुखाती है।
माँ,
बता यह मौत
क्यों आती है।
तू ही है भगवान,
और है तू भवानी
मिलकर उस भगवान से,
तू गठजोड़ कर।
मत जाओ,
माँ
मुझे छोड़कर॥

परिचय-राजेश कुमार पड़िहार की जन्म तारीख १२ मार्च १९८४ और जन्म स्थान-कुलथाना है। इनका बसेरा कुलथाना(जिला प्रतापगढ़), राजस्थान में है। कुलथाना वासी श्री पड़िहार ने स्नातक (कला वर्ग) की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय (केश कर्तनालय)है। लेखन विधा-छंद और ग़ज़ल है। एक काव्य संग्रह में रचना प्रकाशित हुई है। उपलब्धि के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान हेतु जिला स्तर पर जिलाधीश द्वारा तीन बार पुरस्कृत किए जा चुके हैं। आपको शब्द साधना काव्य अलंकरण मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी के प्रति प्रेम है।

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