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माँ-बाप की अहमियत

डॉ.अशोक
पटना(बिहार)
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माँ घर के चूल्हे पर,
हर क्षण झुलसती रहती है
बाप की जिन्दगी तपती दुपहरी,
कुछ ख़ास कहती है।

मेहनत और लगन से,
बच्चों को हर वक्त खिलाता-संवारता रहता है
माँ की पवित्र और निर्मल छाया में,
बच्चों को प्रथम शिक्षिका का
पुरस्कार मिलता दिखता है।

तपती धूप में उम्मीद है कुछ,
बस बच्चों की परवरिश में बाप को यहाँ
सब-कुछ खो देने की जिद है,
बच्चे के लिए कुछ पाकर यहाँ।

माँ के आँचल की छाया में बैठकर,
बच्चे निर्विकार होकर उछलते-कूदते रहते हैं
माँ बच्चों की दुनिया संवारने में,
हर तकलीफ़ सहन करती रहती है
हर मुश्किल वक्त में बच्चों की,
हर मनोकामना पूरी करने हेतु
ईश्वर से दुआ-प्रार्थना करती रहती है।

माँ की अच्छी-खासी परवरिश में ही,
बच्चे उन्नति और प्रगति पथ पर
आगे बढ़ते रहते हैं,
माँ की कृपा प्राप्त होने वाले बच्चे
अपने को भाग्यशाली समझते हैं।

यह जीवन की जरूरत नहीं,
वास्तविक सच्चाई है
संग माँ को, बच्चों का सहारा चाहिए
बुढ़ापे में पास रहने का भरोसा चाहिए।

माँ दुनिया में बच्चों का सबसे बड़ा सुखद अहसास है,
बच्चों को माँ का साथ मिलने पर
बढ़ते रहता उत्साह है।

यह खूबसूरत और बच्चों की बड़ी प्यारी है,
ज़िन्दगी को खुबसूरत बनाए रखने की
गूढ़ रहस्यों को उजागर करने की,
सुंदर अदाकारी है।

यह जोड़ी बच्चों को सही दिशा देने में आगे रहती है,
आसमां को छूने की जरूरत से
ज्यादा कोशिशें करने की,
हमेशा ज़रूरत समझती है।

माँ-बाप एक अनमोल खजाना है,
माँ-बाप का साया बच्चों के लिए
दुनिया का सबसे बड़ा नजराना है,
इसे पूरे संसार ने माना है।

जमाने पर अक्सर हम सब,
एतबार नहीं कर सकतें हैं
माँ-बाप को खुशियाँ परोसने वाला अवतार मानकर,
उन्नत संस्कार से विभूषित करते रहते हैं।

दुनिया में माँ-बाप,
शिखर पर पहुंचने की बड़ी ताक़त है।
इसमें सन्निहित उद्गारों और उपकारों को देखकर,
लोग कहते-एक मजबूत रिवायत है॥

परिचय–पटना (बिहार) में निवासरत डॉ.अशोक कुमार शर्मा कविता, लेख, लघुकथा व बाल कहानी लिखते हैं। आप डॉ.अशोक के नाम से रचना कर्म में सक्रिय हैं। शिक्षा एम.काम., एम.ए.(अंग्रेजी, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, हिंदी, इतिहास, लोक प्रशासन व ग्रामीण विकास) सहित एलएलबी, एलएलएम, एमबीए, सीएआईआईबी व पीएच.-डी.(रांची) है। अपर आयुक्त (प्रशासन) पद से सेवानिवृत्त डॉ. शर्मा द्वारा लिखित कई लघुकथा और कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं, जिसमें-क्षितिज, गुलदस्ता, रजनीगंधा (लघुकथा) आदि हैं। अमलतास, शेफालिका, गुलमोहर, चंद्रमलिका, नीलकमल एवं अपराजिता (लघुकथा संग्रह) आदि प्रकाशन में है। ऐसे ही ५ बाल कहानी (पक्षियों की एकता की शक्ति, चिंटू लोमड़ी की चालाकी एवं रियान कौवा की झूठी चाल आदि) प्रकाशित हो चुकी है। आपने सम्मान के रूप में अंतराष्ट्रीय हिंदी साहित्य मंच द्वारा काव्य क्षेत्र में तीसरा, लेखन क्षेत्र में प्रथम, पांचवां व आठवां स्थान प्राप्त किया है। प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर के कई अखबारों में आपकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

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