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माँ बिन सब सूना

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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माँ बिन…!

माँ का प्यार ही सच्चा प्यार,
माँ बिन सूना सब संसार।

माँ की गोद में बच्चे पलते,
माँ के रूप में ईश्वर बसते
माँ की सेवा स्वर्ग का द्वार,
माँ बिन सूना…।

ममता की माँ मूरत होती,
रोते हम तो वो भी रोती
करती वो हृदय से दुलार,
माँ बिन सूना…।

माँ से बड़ा ना कोई नाम,
चरणों में हैं चारों धाम
धुरी माँ पहिया परिवार,
माँ बिन सूना…।

माँ नयनों की है ज्योति,
सपनों के पिरोती है मोती
माँ पावन गंगा की धार,
माँ बिन सूना…।

माँ का आशीष मिल जाए,
मुरझाया जीवन खिल जाए
माँ लाए पतझर में बहार,
माँ बिन सूना…।

माँ की महिमा है अपार,
माँ फूल, दुनिया है खार
बेसार जीवन का है सार,
माँ बिन सूना…।

हज़ार कष्ट वो सह लेती,
फिर भी सदा दुआएं देती
माने कभी ना वो हार,
माँ बिन सूना…।

माँ का आँचल है वटवृक्ष,
जीवन नदी, माँ है तट।
भव सागर कर देती पार,
माँ बिन सूना…॥

परिचय– श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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