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माँ भारती का वन्दन..ज्यादा अच्छा है

डॉ.दिलीप गुप्ता
घरघोड़ा(छत्तीसगढ़)
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सैर सुबह की मित्रों के संग कितना अच्छा है,
निक्कर-जूता…पहने मोटू एकदम बच्चा हैl ️

शुगर-बी.पी.-गैस दौड़ाता रोज सुबह सबको,
कसरत करके स्वेद बहाना कितना अच्छा हैl ️

जांच के दौरान डरा-डरा कर डॉक्टर धमकाता,
भय दिखाकर ऐंठना तो,बिल्कुल नहीं अच्छा है ??

बीबी ने तो की हुई है…दूध,मिठाई,बन्द,
डर-डर,छुप-छुप..मीठा खाना कितना अच्छा हैl

कश्मीर सत्तर सालों से…सहमा रहता था,
तीन सौ सत्तर हटाई,वो दोनों शेर का बच्चा हैl

नगर पालिका के मेंढक…टर्राने वाले हैं,
अपना मेंढक छलांग मारे-कितना अच्छा हैl ️

ऊपर से कांग्रेस-भाजपा अलग-अलग होंगे,
पर अच्छे लल्लू को जिताना लेकिन अच्छा हैl ️

सन्डे चर्च,शुक्र को मस्जिद,मन्दिर को एक दिन,
तिरंगा प्रतिदिन फहराना,कितना अच्छा हैl

बाथरूम में फुहार खुशबू चाहे कितनी हो,
ताल-तलैया कूद नहाना कितना अच्छा हैl ️

हर डोकरा-डोकरी के भीतर प्यारा बच्चा है,
बिना दांत के चाकलेट खाना कितना अच्छा हैl ️

रोज-रोज ज्यों एक चीज से मन भर जाता है,
सुंदर पड़ोसन-नैन लड़ाना कितना अच्छा हैl

दुर्गा-गणेश-शादी-बच्चा में,जितने बम फोड़ो,
पाकिस्तान पे फेंक के आना,उससे अच्छा है।

गीत,ग़ज़ल और हास्य सुनाने से ज्यादा अच्छा,
माँ भारती का वन्दन गाना..ज्यादा अच्छा हैll

परिचयडॉ.दिलीप गुप्ता का साहित्यिक उपनाम `दिल` है। १७ अप्रैल १९६६ को आपका जन्म-घरघोड़ा,जिला रायगढ़ (छग) में हुआ हैl वर्तमान निवास घरघोड़ा स्थित हनुमान चौक में ही हैl छत्तीसगढ़ राज्य के डॉ.गुप्ता ने एम.डी.(मेडीसिन)और डीएसी की शिक्षा हासिल की हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी चिकित्सा कार्य करते हैंl सामाजिक गतिविधि में अग्रणी होकर असहायों,गरीबों,बीमारों की हरसम्भव सहायता के साथ ही साहित्यिक सेवाएं-जन जागरण में भी तत्पर रहते हैं। आपकी लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल तथा कविताएं हैंl प्रकाशन में खुद की `हे पिता`(ओ बाबूजी)पुस्तक व करीब 20 संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हुई है। आपको प्राप्त सम्मान में-कला श्री २०१६,डॉ.अब्दुल कलाम सम्मान सहित साहित्य अलंकरण २०१६ और दिल्ली से `काब्य अमृत` सम्मान आदि ख़ास हैंl २०१६ में कवि सम्मेलन में `राष्ट्रीय सेवा सम्मान` ४ बार प्राप्त किया है। डॉ.दिलीप की लेखनी का उद्देश्य समाज और संसार से बुराइयों को समाप्त कर अच्छाइयों से जन-जन को वाकिफ कराना है।

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