पटना (बिहार)।
भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र में हिंदी पखवाड़े के अवसर पर मुजीब खान ने मुंशी जी की ४ कहानियों का मंचन किया। कहानियों का नाट्य रूपांतरण करने वाले मुजीब खान और उनकी मंडली आइडिया ने पखवाड़े के अवसर पर केंद्र के कन्वेंशन सेंटर में यह मंचन करके एक नया इतिहास रचा है।
बुधवार २७ सितम्बर को परिसर में मुंशी जी द्वारा लिखित नाटक ‘गंजेपन की दवा’, ‘बड़े भाई साहब’, ‘सवा सेर गेहूं’ और ‘मोट राम की डायरी’ का मंचन किया गया। १०० साल पहले मुंशी जी द्वारा लिखी गई कहानी ‘गंजेपन की दवा’ आज भी समाज के एक बड़े वर्ग का प्रतिनिधित्व करती है। गंजेपन की दवा बेचकर लाखों लोग करोड़पति बन गए, लेकिन किसी का गंजापन दूर नहीं हुआ। ये कहानी हंसी से भरपूर है। ‘बड़े भाई साहब’ नाटक २ पीढ़ियों के अंतर का वर्णन और शिक्षा प्रणाली का भी उपहास करता है। ‘सवा सेर गेहूं’ किसानों की गरीबी और पूंजीपतियों के क्रूर व्यवहार को दिखाता है। इन नाटकों को बेहद पसंद किया गया।
ये सभी कहानियां बेशक १०० साल पहले लिखी गई थीं, लेकिन वो समस्याएं आज भी समाज में मौजूद हैं, और बुराइयों को खुलकर बयां कर रही है।