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मेरा देश…मेरी पूजा…मेरा देव

डॉ.दिलीप गुप्ता
घरघोड़ा(छत्तीसगढ़)
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देश मेरा देव मेरा,साँस मेरी जान है…,
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान है
फहरता जब तक रहे,आज़ाद हिंदुस्तान है।
तिरंगा हर भारतीय की जान है-अभिमान है,
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

हाथ में लेकर ध्वजा सीमा पे तन कर हैं खड़े,
जां हथेली पर लिए,आंधी-तूफानों में…अड़े
सम्मान माटी का बचाने,वीर देते…जान है।
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

विश्व का सबसे बड़ा गणतंत्र है,भारत हमारा,
वीर पुत्रों से भरा स्वतंत्र है,..भारत हमारा
रक्त और साँसें समर्पित कर सम्हाले…मान हैं।
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

विश्वजन को सत्य का,देता रहा सन्देश है,
अनेकता में एकता,मिसाल…मेरा देश है
भाईचारा-मित्रता-सहयोग पर बलिदान है।
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

रंग केशरिया का मतलब,तपस्या और त्याग है,
श्वेत बतलाता हमारा सत्य निशदिन साथ है
हरा हरियाली है,प्रकृति यहाँ…धनवान है।
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

देश मंदिर है,कहीं..चर्च और गुरुद्वार भी,
पूजे जाते हैं यहां मस्जिदों के मीनार भी
भारत भूमि में बराबर हर धर्म का सम्मान है।
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

बाईबल यहां है पूजता,भागवत यहां का श्लोक है,
गूंजता आठों पहर,अज़ान का आलोक है
मेरा भारत वेद की,पावन ऋचा का ज्ञान है।
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

स्वर्ग से सुंदर मनोरम,दिल-धरा कश्मीर है,
शत्रु लालच में जहां हर रोज मारे तीर है
बैरी की छाती को चीरे,वीरों की कमान है।
नभ में लहराता तिरंगा,भारती की शान हैll

देव-देवी नर औ नारी,शिशु प्रभु के रूप हैं,
माँ-पिता पूजें यहां,जीवन के छाँव और धूप हैं
दया-क्षमा की इस धरा में,जन्म एक वरदान है।
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

हमने लहू से सींची है,भारत ध्वजा,जवानों के,
पाई आज़ादी है धरती-खेतों और खलिहानों के
गूंजता भारत धरा पर,जन-गण-मन गान है।
नभ पे लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

आज़ाद-नेहरू-शास्त्री-गांधी-चंद्र शेखर-राय,
तिलक-बिस्मिल-सुभाष-राणा-शिवाजी और धाय
शहीदों के खून से लिक्खी गई अभियान है।
नभ में लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

ईद-होली और दिवाली-मनाते क्रिसमस भी हैं,
नानक-ईसा-अल्लाह और,हम प्रभु के वश भी हैं
पावन धरा की पुण्य ये,संस्कृति महान है।
नभ पे लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

जलियाँवाला बाग़ के स्मृति की है एक कहानी,
वीरांगनाओं-वीरों के,वीरता अदभुत,जुबानी
सुखदेव-राजगुरु-भगत का ये स्वाभिमान है।
नभ पे लहराता तिरंगा,हिन्द जा सम्मान हैll

कृष्ण-महाभारत है शिक्षा,राम का वनवास है,
दुला-हसन की जाबांजी और बुद्ध का सन्यास है
अशोक का हृदय बदलना,अहिंसा का गान है।
नभ पे लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान हैll

नभ पे लहराता तिरंगा,हिन्द का सम्मान है,
लहरता जब तक रहे,आज़ाद हिंदुस्तान है
सुर-तुलसी-कबीर के ग्रंथों के पावन ज्ञान हैं।
झुकने न देंगे हम ध्वजा,जब तक लहू है प्राण हैll

परिचयडॉ.दिलीप गुप्ता का साहित्यिक उपनाम `दिल` है। १७ अप्रैल १९६६ को आपका जन्म-घरघोड़ा,जिला रायगढ़ (छग) में हुआ हैl वर्तमान निवास घरघोड़ा स्थित हनुमान चौक में ही हैl छत्तीसगढ़ राज्य के डॉ.गुप्ता ने एम.डी.(मेडीसिन)और डीएसी की शिक्षा हासिल की हैl कार्यक्षेत्र में आप निजी चिकित्सा कार्य करते हैंl सामाजिक गतिविधि में अग्रणी होकर असहायों,गरीबों,बीमारों की हरसम्भव सहायता के साथ ही साहित्यिक सेवाएं-जन जागरण में भी तत्पर रहते हैं। आपकी लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल तथा कविताएं हैंl प्रकाशन में खुद की `हे पिता`(ओ बाबूजी)पुस्तक व करीब 20 संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हुई है। आपको प्राप्त सम्मान में-कला श्री २०१६,डॉ.अब्दुल कलाम सम्मान सहित साहित्य अलंकरण २०१६ और दिल्ली से `काब्य अमृत` सम्मान आदि ख़ास हैंl २०१६ में कवि सम्मेलन में `राष्ट्रीय सेवा सम्मान` ४ बार प्राप्त किया है। डॉ.दिलीप की लेखनी का उद्देश्य समाज और संसार से बुराइयों को समाप्त कर अच्छाइयों से जन-जन को वाकिफ कराना है।

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