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मेरे कृष्ण

रेणु झा ‘रेणुका’
राँची(झारखंड)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

हे देवकी पुत्र,यशोदा नंदन
बसते हो राधा संग,वृंदावन,
पुनः अवतरित हो जाओ
नित नजरें निहारे डगर,
प्रभु कब आओगे इधर
हे जगत् के रखवाले कृष्ण।

हे द्रौपदी की लाज बचाने वाले
मथुरा का माखन चुराने वाले,
नख पर पर्वत उठाने वाले
साग विदुर घर खाने वाले,
हे अर्जुन के सारथी कृष्ण।

हे मीरा के गिरधर गोपाल
अपनी धरा मानवता विहीन हो रही,
माता-पिता आदरहीन जी रहे
धर्म,संस्कृति के चीथड़े हो रहे,
आओ,पुनः इसे बचा जाओ
हे सुदामा सखा कृष्ण।

हे जगत् गुरु कृष्ण
कंस के संहारक,
पाप बढ़ रहा,सुता लुट रही
गिद्ध,भेड़ियों को मिटाने,
धर्म रक्षा हेतु तुम आ जाओl
हे भक्त रक्षक हे भक्त वत्सल कृष्ण,
पुनः अवतरित हो जाओll

परिचय-रेणु झा का निवास झारखंड राज्य के राँची जिले में स्थाई रूप से है। साहित्यिक उपनाम ‘रेणुका’ लिखने वाली रेणु झा की जन्म तारीख ५ सितम्बर १९६२ एवं जन्म स्थान-राँची है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा का ज्ञान रखने वाली रेणुका की पूर्ण शिक्षा-एम ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण(शिक्षक),समाजसेवा एवं साहित्य सेवा का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत नि:शुल्क शिक्षा देने सहित विविध सामाजिक कार्य भी करती हैं। इनकी लेखन विधा-लेख,गीत तथा कविता है। कईं पत्र- पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित होने का सिलसिला जारी है। आपको प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में विशेष रूप से मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित हैं तो अन्य मंचों से कईं साहित्यिक सम्मान मिले हैं। विशेष उपलब्धि-सामाजिक समस्याओं पर लेखन में दैनिक समाचार-पत्र से सम्मानित किया गया है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समस्याओं का निदान,लोगों में जागरूकता लाना और हिन्दी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है। आपके पसंदीदा हिन्दी लेखक-श्री प्रेमचंद,सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और हरिवंशराय बच्चन हैं। प्रेरणापुंज-माँ है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“मेरा देश विश्व गुरु हो,यही कामना है। हिंदी भाषा देश के हर क्षेत्र,राज्य में बोली और लिखी जाए।”

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