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जन्माष्टमी मात्र पर्व नहीं

रेनू सिंघल
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥”

जन्माष्टमी मात्र पर्व नहीं

देवकी मैया के तुम जाये,गोद यशोदा की दुलराये।

मथुरा के तुम राजदुलारे,गोकुल के तुम आँख के तारे।

मुरलीमनोहर छवि मतवारी,जय जय जय

जय कृष्ण मुरारी ।

संसार में जब-जब अत्याचार और पाप अपनी चरम सीमा पार कर जाता है,आसुरी मनोवृत्ति का बोलबाला सर्वत्र व्यापक रूप धारण कर लेता है,तब ईश्वरीय अवतार दैवीय शक्तियों से पूर्ण मानव रूप में धरती पर अवतरित होते हैं। द्वापर युग में जब आसुरी प्रवृत्ति कंस का अत्याचार चरमोत्कर्ष पर था,तब मथुरा में देवकी के गर्भ से श्री कृष्ण,विष्णु के आठवें अवतार का जन्म भाद्रपद की अष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र में प्रजा को उसके अत्याचारों से मुक्त कराने के लिए हुआ था। साथ ही संसार के समस्त प्राणियों को कर्म,योग,राजनीति, धर्म,अध्यात्म समाज और विज्ञान क्षेत्रों के विभिन्न पहलुओं से भी अवगत कराने के लिए श्री कृष्ण ने मानव रुप धारण किया था।

श्रीकृष्ण चरित्र के अध्ययन मात्र से संसार की नीतियों का पालन किस प्रकार किया जाए,इसका ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।

‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन’ का पाँचजन्य फूँकने वाले श्री कृष्ण उच्च कोटि के प्रेरक गुरु थे। मात्र गीता के अध्ययन से ही जन्म-मरण,कर्म,ज्ञान,’नैंनं छिन्दन्ति शस्त्राणि’ द्वारा आत्मा की अमरता का वर्णन कृष्ण द्वारा कर्म प्रधानता को दर्शाता है। गीता भारतीय धर्म का विश्वकोश है।

अपनी बाल सुलभ लीलाओं से सबका मन मोहने वाले,यौवनावस्था से पूर्ण गोपियों के प्रेमी सखा बन प्रेम का संदेश देने वाले,राधा के पवित्र प्रेम का दर्शन हमें कृष्ण की लीलाओं से ही मिलता है। भारत राष्ट्र की अखण्डता की रक्षा हेतु श्रीकृष्ण की शिक्षा और उनके चरित्र का पठन और मनन करना अति आवश्यक है।

परिचय-रेनू सिंघल का निवास लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में है। १९६९ में ९ फरवरी को हापुड़ (उत्तर प्रदेश) में जन्मीं हैं। आपको हिंदी-अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। गणित से स्नातक(बी.एस-सी.)श्रीमती सिंघल का कार्यक्षेत्र-लेखन का है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत आप साहित्य सृजन द्वारा सामाजिक चेतना जागृत करती हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,कहानी और लेख है। ‘अलकनंदा’ साझा काव्य संकलन सहित कई पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मानों में-साहित्य श्री सम्मान,काव्य रंगोली मातृत्व ममता सम्मान- २०१८,प्रजातन्त्र का स्तम्भ गौरव पुरस्कार- २०१९ और सी. वी. रमण शांति सम्मान-२०१९ आदि हैं।

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