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मैं तुम्हारा कान्हा

मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा(राजस्थान)
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कृष्ण जन्माष्टमी स्पर्धा विशेष……….

मेरी प्रीत तुमसे राधे,मैं तुम्हारा कान्हा,
मेरे गीत तुमसे राधे,मैं तुम्हारा कान्हा।
मैं तुम्हारा घनश्याम हूँ तुम मेरी राधे हो,
बन्धन रीत तुमसे राधे,मैं तुम्हारा कान्हा॥

राधे तुम मेरी ओझल-सी आँखों का नीर हो,
बन्धन के प्रीत की रीत तुम राधे तकदीर हो।
जहाँ-जहाँ राधे तुम हो,वहाँ मैं रहता राधे,
मेरी परछाई तुम राधे,मेरी तस्वीर हो॥

मेरे जीवन के सपनों का श्रृंगार हो राधे,
मनमोहन के जीवन का तुम अवतार हो राधे।
राधे तुमसे मन मेरा हमेशा खिल जाता है,
मेरे मन के आँगन पर खिलता हार हो राधे॥

मनमोहन मेरा नाम,मैं तुम्हारा कान्हा हूँ,
मेरे चरणों में धाम,मैं तुम्हारा कान्हा हूँ।
मोर मुकुट बंशी वाला मैं गाय का ग्वाला हूँ,
मैं तुम्हारा ही श्याम,मैं तुम्हारा कान्हा हूँ॥

परिचय–मोहित जागेटिया का जन्म ६ अक्तूबर १९९१ में ,सिदडियास में हुआ हैl वर्तमान में आपका बसेरा गांव सिडियास (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) हैl यही स्थाई पता भी है। स्नातक(कला)तक शिक्षित होकर व्यवसायी का कार्यक्षेत्र है। इनकी लेखन विधा-कविता,दोहे,मुक्तक है। इनकी रचनाओं का प्रकाशन-राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में जारी है। एक प्रतियोगिता में सांत्वना सम्मान-पत्र मिला है। मोहित जागेटिया ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को बताना और मिटाना है। रुचि-कविता लिखना है।

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