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मैं मशीन हूँ

सच्चिदानंद किरण
भागलपुर (बिहार)
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निर्जीव हूँ,
पर जानदार हूँ
दमदार भी,
चलता भी हूँ
अपने मुताबिक किसी के,
तनिक इशारों‌ पर।

ना किसी से,
जान-पहचान एक
कि बोर्ड से,
निरंतर चलता हूँ
बुद्धिजीवी की उंगली के,
तनिक इशारों पर।

मैं वही ज्ञान का,
ज्ञानी हूँ,
बस लगा दो
कहीं भी किसी भी,
रास्ते पर
सोच लेता हूँ,
चलना है तो चलना है
यों ही तनिक इशारों पर।

शक्तिशाली भी हूँ,
कमजोर भी ऊर्जावान
हो के ठीक जैसे,
सजीव के हालातों में,
चल-चलकर थकता भी हूँ
नई से पुरानी मशीन,
रूप में सजीव‌ प्राणी-सा
हर किसी हद तक,
तनिक इशारों पर।

बीमार भी पड़ता हूँ,
वैद्य आते हैं और चले जाते हैं
जरूरत पर मुझे भी,
ले जाते मेरे मालिक
अपनी कार्यक्षमता बढ़ाने,
मेरी दुर्दशा को संभालते हुए
आलस्य के तनिक इशारों पर।

जब तक साँसों में,
तेजी रहती खट‌ लेता हूँ
जी-जान से पूरी लगन,
सदृढ़ता से तन्मयता से
बूढ़ा भी होता हूँ,
जा बसता हूँ कूड़े के ढेर में
या किसी महल-अटारी के कोने,
टुक-टुक निहारते सोच
फेर के तनिक इशारों पर।

एक बूढ़ा और लाचार,
खूंटे में बंधकर दिन-रात
पड़ा रहता टूटी-फूटी खाट,
गंदगी पर‌ मक्खी भिन‌‌भिनाती
और कहते‌ मैं अच्छा हूँ,
तुझसे‌ कई गुणा इस
छल‌-प्रपंच-मक्कारी।
दुनिया वालों से,
अपनों के तनिक इशारों पर॥

परिचय- सच्चिदानंद साह का साहित्यिक नाम ‘सच्चिदानंद किरण’ है। जन्म ६ फरवरी १९५९ को ग्राम-पैन (भागलपुर) में हुआ है। बिहार वासी श्री साह ने इंटरमीडिएट की शिक्षा प्राप्त की है। आपके साहित्यिक खाते में प्रकाशित पुस्तकों में ‘पंछी आकाश के’, ‘रवि की छवि’ व ‘चंद्रमुखी’ (कविता संग्रह) है। सम्मान में रेलवे मालदा मंडल से राजभाषा से २ सम्मान, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ (२०१८) से ‘कवि शिरोमणि’, २०१९ में विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ प्रादेशिक शाखा मुंबई से ‘साहित्य रत्न’, २०२० में अंतर्राष्ट्रीय तथागत सृजन सम्मान सहित हिंदी भाषा साहित्य परिषद खगड़िया कैलाश झा किंकर स्मृति सम्मान, तुलसी साहित्य अकादमी (भोपाल) से तुलसी सम्मान, २०२१ में गोरक्ष शक्तिधाम सेवार्थ फाउंडेशन (उज्जैन) से ‘काव्य भूषण’ आदि सम्मान मिले हैं। उपलब्धि देखें तो चित्रकारी करते हैं। आप विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य होने के साथ ही तुलसी साहित्य अकादमी के जिलाध्यक्ष एवं कई साहित्यिक मंच से सक्रियता से जुड़े हुए हैं।

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