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‘योगेश्वर गोविंद महाकाव्य’ से अवश्य सीखना चाहिए

लोकार्पण…

उज्जैन (मप्र)।

योगेश्वर श्रीकृष्ण के विराट व्यक्तित्व को समझने के लिए हर जिज्ञासु पाठक को ‘योगेश्वर गोविंद महाकाव्य’ से अवश्य सीखना चाहिए। यह ऐसा अद्भुत महाकाव्य है, जिसकी रचना बिना भगवत कृपा के संभव ही नहीं है।
मध्यप्रदेश लेखक संघ (उज्जैन) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में साहित्यकार राजपालसिंह जादौन द्वारा रचित महाकाव्य ‘योगेश्वर गोविंद’ के लोकार्पण अवसर पर यह बात विभिन्न वक्ताओं ने कही। समारोह में सारस्वत अतिथि डॉ. मोहन गुप्त, विशेष अतिथि प्रो. बालकृष्ण शर्मा और विशिष्ट अतिथि डॉ. शिव चौरसिया ने भी विचार व्यक्त किए। कालिदास अकादमी के निदेशक डॉ. गोविंद गंधे ने कहा कि, यह एक अत्यंत महान ग्रंथ है। समारोह के अध्यक्ष डॉ. हरि मोहन बुधौलिया, प्रमुख वक्ता डॉ. शैलेन्द्र शर्मा, विशेष अतिथि श्यामदास महाराज और श्री जादौन ने भी सम्बोधित किया। पुस्तक की समीक्षा डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा और डॉ. पांखुरी जोशी ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम में श्रीराम दवे, हरिहर शर्मा, संतोष सुपेकर, डॉ. सुरेश शास्त्री और डॉ. अभिलाषा शर्मा सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार व गणमान्यजन उपस्थित हुए। डॉ. हरीश कुमार सिंह ने आभार माना।