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विचारणीय दिवस

रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवस विशेष………..


जरूरत आन पड़ी ऐसी भी,
दिवस अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी मनाया जाए…
वैश्विक स्तर पर,उपाय सुझाया जाए।
यू.यन.एच.सी. रिपोर्ट कहती,
प्रभावित विकासशील देश हैं होते…
रोहिंग्या मुस्लिम देखो अपनी पहचान को हैं रोते।
सीरिया में छिड़ी जो जंग,
बेघर हुए हजार,तिब्बत के शरणार्थी की भी सुन लो पुकार।
बांग्लादेश में शरणार्थी,हुए नहीं स्वीकार,
दो हफ्ते में बारह सौ घर
तोड़ दिए गए यार!
संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त की
रिपोर्ट यही बताती,
पांचवे साल भी लगातार यह वृद्धि बढ़ती जाती।
सभी देशों में ११० में एक व्यक्ति विस्थापित है,
आतंकवाद से जुड़े सीरिया
कड़वी यह भी हकीकत है।
पलायन से मजबूर,एलन कुर्दी
की थी लाश मिली,
छोटी नाव में भाग चले तो
जोखिम में है जान फँसी।
गुलामों का बढ़ रहा बाजार,
लीबियाई विद्रोहियों का कारोबार।
ब्रिटेन में भी कैमरीन ने,
किया शरणार्थियों को अस्वीकार।
जर्मनी में चरमपंथियों ने,
जीना किया है दुश्वार।
मुश्किल में दोनों हैं शरणार्थी हूँ या सरकार।
वैश्विक स्तर पर देखो समस्या बड़ी उभरती-सी,
विचारणीय प्रश्न बन चुका है ?,
२० जून को मनाया जाने वाला,
अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी दिवसll

परिचय-रश्मि लता मिश्रा का बसेरा बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में है। जन्म तारीख़ ३० जून १९५७ और जन्म स्थान-बिलासपुर है। स्थाई रुप से यहीं की निवासी रश्मि लता मिश्रा को हिन्दी भाषा का ज्ञान है। छत्तीसगढ़ से सम्बन्ध रखने वाली रश्मि ने हिंदी विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण(सेवानिवृत्त शिक्षिका )रहा है। सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत समाज में उपाध्यक्ष सहित कईं सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं में भी पदाधिकारी हैं। सभी विधा में लिखने वाली रश्मि जी के २ भजन संग्रह-राम रस एवं दुर्गा नवरस प्रकाशित हैं तो काव्य संग्रह-‘मेरी अनुभूतियां’ एवं ‘गुलदस्ता’ का प्रकाशन भी होना है। कईं पत्र-पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं प्रकाशित हैं। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में-भावांजलि काव्योत्सव,उत्तराखंड की जिया आदि प्रमुख हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-नवसृजन एवं हिंदी भाषा के उन्नयन में सहयोग करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणापुंज-मेहरून्निसा परवेज़ तथा महेश सक्सेना हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी भाषा देश को एक सूत्र में बांधने का सशक्त माध्यम है।” जीवन लक्ष्य-निज भाषा की उन्नति में यथासंभव योगदान जो देश के लिए भी होगा।

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