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रिश्तों की बुनावट को बखूबी रखती हैं स्मृति की कविताएं-डॉ. दवे

विमोचन….

इंदौर (मप्र)।

स्मृति की कविताओं में मिले-जुले रंग हैं…भावनाएं हैं और रिश्ते को जी लेने का अहसास है। बिम्ब बेहद प्रभावी हैं। पंचतत्वों के सारे तत्वों का जिस तरह उन्होंने अपनी कविताओं में इस्तेमाल किया है, वह बेहतरीन है। रिश्तों की इस बुनावट को स्मृति की कविताएं बखूबी रखती हैं। ‘हथेलियों के गुलाबी अक्षर’ आपके और हमारे कहन से जुड़े हैं, और यही उन्हें सफल बनाती है।
यह बात मुख्य अतिथि के रूप में साहित्य अकादमी मप्र के निदेशक और बाल साहित्यकार डॉ. विकास दवे ने कही। अवसर रहा कवयित्री स्मृति आदित्य की किताब ‘हथेलियों पर गुलाबी अक्षर’ के विमोचन का। पत्रकार स्मृति आदित्य की इस पहली पुस्तक का विमोचन होटल अपना एवेन्यू में वामा साहित्य मंच के बैनर तले किया गया। चर्चाकार के रूप में साहित्यकार ज्योति जैन ने कहा कि, जब एक स्त्री प्रेम करती है तो प्रेम में डूबती है, वह नाचती भी है गाती भी है। उसकी कविताओं में कभी मोर नाचता है तो कभी कुमकुम के सिंदूरी रंग में रंग जाती है। कभी अपनी पूरी जिंदगी डेस्क पर लगाती है, तो कभी सब कुछ गृहस्थी में उलीच देती है।
इससे पूर्व मंच की अध्यक्ष इंदु पाराशर ने स्वागत उद्बोधन दिया। सरस्वती वंदना संगीता परमार ने प्रस्तुत की।
अतिथि स्वागत मंजू मिश्रा, मंशा कनिक, डॉ. भारती जोशी व डॉ. किसलय पंचोली ने किया।
लेखिका स्मृति ने कहा कि, कविता मेरे लिए मन के प्रबलतम भावों को कागज़ पर रख देना ही मात्र नहीं है… गहरे अहसास से जुड़ी मेरी कविताएं पूरी होकर तृप्त अवस्था में बरसों रखी रहीं, लेकिन कभी नहीं सोचा कि इन्हें पुस्तक के रूप में लाना है…।
आयोजन का संचालन डॉ. अंजना चक्रपाणि मिश्र ने किया। आभार आदित्य पांडे ने माना।