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रोला छंद विधान

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
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साहित्य की पाठशाला ………….
(रचना शिल्प:रोला छंद २४ मात्रिक छंद होता है। विषम चरणों में ११ मात्रा और चरणांत २१ से होता है। सम चरणों में १३ मात्रा और चरणांत २२ से होता है। समचरणांत में २२ का विकल्प:-११२,२११,११११ भी मान्य है। दो,दो सम चरणों में समतुकांत हो।)
उदाहरण….
. तिरंगा
मातृ भूमि का ताज,आज कश्मीर हमारा।
२१ २१ २ २१, २१ २२१ १२२
स्वागत को तैयार,तिरंगा फहरे प्यारा।
२११ २ २२१, १२२ ११२ २२
केशर घाटी फूल,झील अरु कूल किनारा।
२११ २२ २१, २१ ११ २१ १२२
जन गन मंगल गान,करेगा भारत सारा।

११ ११ २११ २१, १२२ २११ २२

देता यह पैगाम,तिरंगा आज वतन का।
२२ ११ २२१,१२२ २१ १११ २
रहना सब मिल साथ,भरोसा रखें चमन का।
११२ ११ ११ २१ १२२ १२ १११ २
उपवन का हर फूल,कली हर जन अपना हो।
११११ २ ११ २१, १२ ११ ११ ११२ २
भारत रहे अखण्ड,सत्य शिव यह सपना हो।

२११ १२ १२१ ,२१ ११ ११ ११२ २

इस प्रकार अभ्यास कीजिए। लय बाधा न रहे,इसलिए गाइए,गुनगुनाइये। लय बाधा मिटाइए,छंद सही बनेगा।

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

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