बोधन राम निषाद ‘राज’
कबीरधाम (छत्तीसगढ़)
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रक्षा करना गाय की,इनसे है संसार।
वैतरणी की तारणी,पशुधन प्रण अपार॥
घी मक्खन दधि दूध से,मिले गाय से आज।
गाय नहीं कुछ भी नहीं,पूजा कर लो साज॥
माता रूप महान है,लक्ष्मी का अवतार।
धन वर्षा करती यही,खुश होते घर-बार॥
इनके गोबर से बने,खेत हेतु बहु खाद।
उन्नत फसल किसान फिर,होते हैं आबाद॥
गो धन जन धन है यही,इस पर रखना आस।
कामधेनु ये स्वर्ग की,देव करें हैं वास॥