कुल पृष्ठ दर्शन : 453

सिगरेट बोले रे…

राजेश पड़िहार
प्रतापगढ़(राजस्थान)
***********************************************************

(रचना शिल्प:तर्ज-झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में)

सिगरेट बोले रे,जीवन की मंझधार में,सिगरेट बोले रे…,

चाचा आओ ताऊ आओ,छत पर लो सुलगाओ,
जी कर क्या करना है,मेरे संग में मौज उड़ाओl
बीड़ी बोली ना ना बाबा,ना मुझको छोड़ कर जाओ,
और तंबाकू कहती देखो,आकर मुझको खाओl
हाँ आकर मुझको खाओ,
फिर क्या हुआ…?
फिर सिगरेट बोले रे,यमदूत के आकार में,सिगरेट बोले रे…

आओ मिलकर खतम करें हम,जीवन की कहानी,
नशा नाश की कहलाती है,देखो अमिट निशानीl
मिलकर कर बोले आओ फिर से,हर लेते हैं जवानी,
स्वयं गले से लगा लेता है,देखो हमको प्राणीl
हाँ देखो हमको प्राणी…
फिर क्या हुआ…?
फिर सिगरेट बोले रे,बिठा इसको पतवार में,सिगरेट बोले रे…

मिलकर सोची-समझी सबने,नई-नई फिर बातें,
एक मुसाफिर सुन लेता है,उनकी कड़वी बातेंl
तब से लेकर जाग रहा है,जाने कितनी रातें,
बचे मेरे सभी भाई-बंधु,जो शरण नशे की जातेl
हाँ जो शरण नशे की जाते…
फिर क्या हुआ…?
फिर सज्जन बोले रे,हटा दे कारोबार में… सज्जन बोले रेll

परिचय-राजेश कुमार पड़िहार की जन्म तारीख १२ मार्च १९८४ और जन्म स्थान-कुलथाना है। इनका बसेरा कुलथाना(जिला प्रतापगढ़), राजस्थान में है। कुलथाना वासी श्री पड़िहार ने स्नातक (कला वर्ग) की शिक्षा हासिल की है। कार्यक्षेत्र में स्वयं का व्यवसाय (केश कर्तनालय)है। लेखन विधा-छंद और ग़ज़ल है। एक काव्य संग्रह में रचना प्रकाशित हुई है। उपलब्धि के तौर पर स्वच्छ भारत अभियान में उल्लेखनीय योगदान हेतु जिला स्तर पर जिलाधीश द्वारा तीन बार पुरस्कृत किए जा चुके हैं। आपको शब्द साधना काव्य अलंकरण मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी के प्रति प्रेम है।

Leave a Reply