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ललित की मौलिकता पाठकों को जोड़ती है-डॉ. दिविक रमेश

नई दिल्ली।

लालित्य ललित की मौलिक विचारधारा पाठकों को जोड़ती है। शमशेर और त्रिलोचन की ऊष्मा ललित की रचनाओं में नजर आती है।
यह बात लेखक लालित्य ललित की रचनावली का लोकार्पण करते हुए साहित्य अकादमी से सम्मानित प्रख्यात लेखक डॉ. दिविक रमेश ने बतौर अध्यक्ष कही। कथाकार चित्रा मुद्गल, प्रेम जनमेजय, संजीव कुमार ने संयुक्त तौर पर यह लोकार्पण किया। रचनावली के १ से १३ खंड इस मौके पर लोकार्पित किए गए। दिल्ली से प्रकाशित व्यंग्य संग्रह ‘पांडेय जी की दिलकश दुनिया’ सहित ‘छाया मत छूना मन’ संजीव कुमार की कृति भी लोकार्पित की गई। समारोह में डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि, लालित्य ललित वर्तमान दौर के सक्रिय रचनाकार हैं। उनकी दृष्टि से कोई भी विषय अछूता नहीं है।
मुख्य अतिथि चित्रा मुद्गल ने कहा कि, लालित्य ललित नियमित लेखन कर रहे हैं और आने वाले समय में भी बेहतर लिखेंगे। उन्हें आशीर्वाद और शुभकामनाएं कि, वे भविष्य में अपने लेखन से नई पीढ़ी को दृष्टि प्रदान करें ताकि वे अपने आपको तात्कालिक परिस्थितियों से लड़ने के लिए तैयार हो सकें।

गिरिराज शरण अग्रवाल, प्रेम जनमेजय, डॉ. राकेश पांडेय, प्रो. रवि शर्मा ‘मधुप’, हिंदी अकादमी दिल्ली के पूर्व सचिव हरिसुमन बिष्ट और युवा रचनाकार स्वाति चौधरी ने भी संबोधित किया।