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कंगना जी,इतना घमंड अच्छा नहीं

कनक दांगी ‘बृजलता’
गंजबासौदा(मध्य प्रदेश) 
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गुणों से ऊपर इज्ज़त और रातों-रात मिली शोहरत,नाहक लोगों को हज़म नहीं होती। इसका सबसे ताजा उदाहरण कंगना रनौत और पंजाबी गायकों के बीच ज़ुबानी जंग में साफ नजर आया। जहां कंगना रनौत की तो विवादों की पुरानी यारी है,वहीं पंजाबी शेरों ने बिल्ली के गले में घंटी बांधने का जो संकटकार्य कर दिखाया,वह का़बिले तारीफ़ है।
अब शायद कंगना जी को समझ आ गया होगा कि, हर मुँह को बंद कराने वाला एक सवा-मुँह होता है,जो बस उस वक्त तक चुप रहता है,जब तक आप खुद को स्वघोषित रानी न समझ बैठें,वही हुआ आपके साथ भी…l कंगना जी शायद आप यह भूल बैठी कि,अपने बेवजह घमंड में ४ महीने से जो लोग आपकी हाँ में हाँ मिला रहे थे,वे आपके नहीं,बल्कि स्व. सुशांत सिंह राजपूत के प्रशंसक हैं..l जो उनकी तरफ से,उनके लिए,उनके साथ हुए अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। अब उनको तब थोड़ी यह समझ रही होगी कि,आप यहां भी उनकी चिता पर सिर्फ अपना पापड़ सेके जा रहीं थीं। न ही उनको यह पता होगा कि,उनके समर्थन का ख़ुमार आपको यूँ बदतमीज और बदजुबान बना देगा। उन्होंने आपका अनुसरण और सहयोग बस इस वज़ह से किया था कि,आप मोहतरमा उन्हें न्याय की इस जंग में रहनुमाई करेंगीं,लेकिन आप तो.. खैर,छोड़ोl अगर आप समझदार होतीं तो…और कंगना जी जिनकी शह पर आप शब्दों के बाण चलाती जाती हैं,सबका दिल दुखाती हैं,अपनी भीतरी नकारात्मकता दिखाए जाती हैं,वे भी आपका सिर्फ वहां तक ही साथ देंगे,जहां तक आप सही होंगी..उसके आगे उनको अपनी छवि भी देखनी है। आपके कारण अपनी बनी को थोड़ी न बिगाड़ कर अगला चुनाव हारेंगे। वैसे,अपनी से याद आया…सुना है रंजीत बावा अभी ताजा-ताजा बोले हैं..कंगना को अपने तरीके से,उस पर गाना बनाकर जबाव देंगे...l आप तो पंजाब में भी प्रसिद्ध हो गई कंगना जी…!! हाँ,वो अलग बात है कि यह नकारात्मक ख्याति है,पर आपको क्या फर्क पड़ता है,है न…!

यह समझ नहीं आ रहा है कि,आप बोलीं क्यूं ? यह न तो सिनेमा जगत का मामला था,न ही आप किसी दल से हैंl हाँ,चारदिवारी के अंदर से हैंl हमें पता है..हम सभी हैं,लेकिन…वो लोग देश के किसान हैंl अपना हक मांग रहे हैं,मांगने दीजिए..कौन-सा आपको देना है। उनके भी बाल बच्चे हैं,परिवार है.. उनका हक है अपने लिए बोलना। एक तो आपने उनको अपमानित किया,फिर जब रंजीत और हिमांशी खुराना ने आपको आइना दिखाया तो आपने अपने ट्वीट्स ही हटा दिए और आइना दूसरी ओर घुमा दिया,-नहीं-नहीं,आप ग़लत ले रहे हैं,मैं तो कहीं और किसी ओर को अपमानित कर रही थी। ऐसे थोड़ी न चलेगा मैडम,अपनी बात से तो न मुकरईए। आपने दिलजीत दोसांझ को भी कह दिया कि,वो फिल्मों में काम लेने के लिए बॉलीवुड वालों की…और करण जौहर का पालतू है…l छी…छी…आपको ऐसी भाषा,माफ़ करना… पर शोभा नहीं देती। आपकी तुलना कुछ लोगों ने रानी लक्ष्मीबाई से की थी,कम-से-कम उनका तो मान रखती दीदी। हाँ,बाद में दिलजीत ने भी सुनाई आपको,पर कंगना जी शुरुआत तो आप ही ने की थी। फिर जट्ट बंदा चुप थोड़ी न रहता,पंजाबी खून है…।

हम सभी जानते हैं कि रंजीत,हिमांशी और दिलजीत का राजनीति से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है,तो यह लोग किसी विरोधी राजनीतिक इरादों को नहीं,बल्कि असलियत में किसानों का समर्थन कर रहे थेl आपने ही वहां उल्टी करना शुरू कर दी,और कंगना रनौत अगर आपके पास सबूत थे,तथा आपके पास तथाकथित तस्वीर थी कि,वहां कोई दादी ऐसी है(जैसी आपने बताया) तो फिर आपको उन तथ्यों पर बात करनी चाहिए थी,लेकिन आपने तो तथ्य रखने के बजाय उनको बंद करना सही समझा,वैसे यह भी एक तरह का पलट जाना ही है।

हम सब जानते हैं जी,आपकी कुछ लोगों के साथ निजी दुश्मनी हैl आप निकालें उसे…हमें ऐतराज़ नहीं,वैसे भी हमें कौन-सी उनकी पड़ी है,लेकिन कंगना रनौत जी…इतना घमंड अच्छा नहीं हैl तारीफ़ को सिर चढ़ाना अच्छा नहीं है। इतना मुँह खोलना अच्छा नहीं है,और सबसे जरूरी बात,हर फटे में मुँह डालकर झाँकना भी…नहीं है।

परिचय-कनक दाँगी ‘बृजलता’ का जन्म १० मार्च १९९५ में वृन्दावन(मथुरा,उ.प्र.)में हुआ है।
वर्तमान निवास मध्य प्रदेश के विदिशा जिला स्थित गंजबासौदा में है। यह बी.ए.(अर्थशास्त्र) तथा विधि स्नातक हैं। कार्यक्षेत्र में स्वतंत्र लेखक एवं व्यक्तिगत परामर्शदाता हैं। बृजलता के लिए वह हर वह वस्तु प्रेरणा पुंज है,जो सोचने पर विवश करती है,इसमें कुदरत से चींटी तक है। सुश्री दाँगी की लेखन विधा-कविता,कहानी,उपन्यास औऱ लेख आदि है। `काव्याग्रह` (कविता संग्रह-२०१६) और `मकान बिकाऊ है`(कहानी संग्रह-२०१७) में प्रकाशित हो चुके हैंl स्थानीय तथा प्रादेशिक पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है। आप चित्रकारी सहित ९ भाषाओं के ज्ञान,अंकशास्त्र और ज्योतिष एवं समस्त धर्म शास्त्रों का अध्ययन रखती हैं। अखिल भारतीय दाँगी क्षत्रिय गौरव सम्मान-२०१७ से आप सम्मानित हैं। इनकी लेखनी का उद्देश्य आत्मिक शांति,समाज में बदलाव की आशा व साहित्य की ओर युवा वर्ग का रुझान जागृत करना है।

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