संदीप धीमान
चमोली (उत्तराखंड)
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ले जा मुझको साथ तेरे,
मुझको न रहना साथ मेरे।
तनहाई आँसुओं की बरसात मेरे,
मेरी खुशियाँ लौटा दो पास मेरे।
हूँ अकेला सागर-सा तन्हा मैं,
कोई मंजिल न मेरी पास मेरे।
खुद के ही हाथों से मिलता न सहारा,
पकड़ा दो न तुम हाथों में हाथ मेरे।
रुह का रुह से रिश्ता कहते हो,
मैं मृत नहीं,देह भी है पास मेरे।
स्पर्श का भी है रुह से गठबंधन,
तुम बांध के बंधन,न पास मेरे।
मुझको लौटा दो वो स्पन्दन मेरे,
घुलते थे तेरे,जो श्वाँसों में श्वाँस मेरे॥