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लोकतंत्र की ताकत देखो…

ममता तिवारी ‘ममता’
जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)
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मना लिया जनता-नेता ने,
पाँच वर्ष का पर्व विशेष
दंग खड़े हैं मीडिया पोल,
धरे रखे सारे अंदेश…।

देखो तो प्रत्याशी भेष,
झुक-झुक कर दे जाते भेंट
वारी जाते पाने वोट,
उजले वस्त्र सँवरे केश…।

हार गये उनके आवेश,
करते खाली किच-किच क्लेश
कुढ़े चिढ़े-चिढ़े बैठे हैं,
कहने-करने बचा न शेष…।

देता विजित अकड़ आदेश,
रौब से करते हुए प्रवेश
जीत जश्न मगन मन करता,
मीठा बांट सुख समावेश…॥

परिचय–ममता तिवारी का जन्म १अक्टूबर १९६८ को हुआ है। वर्तमान में आप छत्तीसगढ़ स्थित बी.डी. महन्त उपनगर (जिला जांजगीर-चाम्पा)में निवासरत हैं। हिन्दी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती तिवारी एम.ए. तक शिक्षित होकर समाज में जिलाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-काव्य(कविता ,छंद,ग़ज़ल) है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएं प्रकाशित हैं। पुरस्कार की बात की जाए तो प्रांतीय समाज सम्मेलन में सम्मान,ऑनलाइन स्पर्धाओं में प्रशस्ति-पत्र आदि हासिल किए हैं। ममता तिवारी की लेखनी का उद्देश्य अपने समय का सदुपयोग और लेखन शौक को पूरा करना है।