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लो चुनाव का मौसम आया

डॉ.एन.के. सेठी
बांदीकुई (राजस्थान)

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गली-गली में धूम मची है,
तन पर श्वेत वसन का साया।
रेवड़ियाँ अब बांटे फिरते,
लो चुनाव का मौसम आया॥

गाँव गली चौराहे देखो,
ध्वनि प्रसारक यंत्र गूंजते।
सफेदपोश वस्त्रों में नेता,
आश्वासन अब लिए घूमते॥
नेता की खुल गई पिटारी,
जनता का भी मन ललचाया।
रेवड़ियाँ अब बांटे फिरते,
लो चुनाव का मौसम आया…॥

झांसे में ना आना तुमको,
करो सोचकर तुम मतदान।
वो आश्वासन बांट रहे हैं,
सही नहीं उनके अरमान॥
झूठे वादों से बचना है,
लेना ना अब माल पराया।
रेवड़ियाँ अब बांटे फिरते,
लो चुनाव का मौसम आया…॥

एक-एक मत की कीमत है,
जिम्मेदारी सभी निभाओ।
सोच-समझ मतदान करें सब,
झूठी बातों में ना आओ॥
नेता अब तो कुछ भी करते,
कुर्सी का ही भूत समाया।
रेवड़ियाँ अब बांटे फिरते,
लो चुनाव का मौसम आया…॥

कोई बांटे घर-घर कम्बल,
कोई बना फिरे अब दानी।
पाँच साल तक कुछ भी न किया,
अब पहुंचाए दाना-पानी॥
पैरों पड़ते-फिरते हैं अब,
लोगों के मन को भरमाया।
रेवड़ियाँ अब बांटे फिरते,
लो चुनाव का मौसम आया…॥

नोटों के भर-भरकर थैले,
जाते बना-बनाकर टोली।
घर-घर जाकर नोट बांटते,
खेल रहे पैसों से होली।
करते रहे हैं काले धंधे,
सेवा कारज रास न आया।
रेवड़ियाँ अब बांटे फिरते,
लो चुनाव का मौसम आया…॥

परिचय-पेशे से अर्द्ध सरकारी महाविद्यालय में प्राचार्य (बांदीकुई,दौसा) डॉ.एन.के. सेठी का बांदीकुई में ही स्थाई निवास है। १९७३ में १५ जुलाई को बड़ियाल कलां,जिला दौसा (राजस्थान) में जन्मे नवल सेठी की शैक्षिक योग्यता एम.ए.(संस्कृत,हिंदी),एम.फिल.,पीएच-डी.,साहित्याचार्य, शिक्षा शास्त्री और बीजेएमसी है। शोध निदेशक डॉ.सेठी लगभग ५० राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में विभिन्न विषयों पर शोध-पत्र वाचन कर चुके हैं,तो कई शोध पत्रों का अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशन हुआ है। पाठ्यक्रमों पर आधारित लगभग १५ से अधिक पुस्तक प्रकाशित हैं। आपकी कविताएं विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। हिंदी और संस्कृत भाषा का ज्ञान रखने वाले राजस्थानवासी डॉ. सेठी सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत कई सामाजिक संगठनों से जुड़ाव रखे हुए हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत तथा आलेख है। आपकी विशेष उपलब्धि-राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठियों में शोध-पत्र का वाचन है। लेखनी का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है। मुंशी प्रेमचंद इनके पसंदीदा हिन्दी लेखक हैं तो प्रेरणा पुंज-स्वामी विवेकानंद जी हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-
‘गर्व हमें है अपने ऊपर,
हम हिन्द के वासी हैं।
जाति धर्म चाहे कोई हो,
हम सब हिंदी भाषी हैं॥’