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वाह रे देश के चौकीदार

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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वाह रे देश के चौकीदार,
कमर तोड़ महँगाई बढ़ती।
थमता नहीं है भ्रष्टाचार,
वाह रे देश के चौकीदार॥

आफ़त में पड़ा अब जन जीवन है,
जीवन मुश्किल बहू-बेटियों का।
बढ़ता जा रहा रोज बलात्कार,
वाह रे देश के चौकीदार॥

भूख मरी फैली भारत में,
कानून व्यवस्था ताक पर रखकर।
नेता चखते मुर्गा आचार,
वाह रे देश के चौकीदार॥

लूट डकैती हत्या हर रोज,
घूस बिना कोई काम न होता।
जज,वकील या तहसीलदार,
वाह रे देश के चौकीदार॥

कानून गो लेखपाल की चलती,
रिश्वत लेकर खेत को मापे।
नक्शा में भी करे विस्तार,
वाह रे देश के चौकीदार॥

इधर से लेकर उधर-उधर दिखता,
दोनों पक्षों से रिश्वत खाता।
झगड़े करवाता बारम्बार,
वाह रे देश के चौकीदार॥

कहे ‘उमेश’ सुनो मेरे भाई,
लूटे ना तुमको कोई कसाई।
फैला दो इसे पत्र अख़बार,
वाह रे देश के चौकीदार॥

परिचय-उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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