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विप्लवी

गोपाल चन्द्र मुखर्जी
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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‘विप्लव’ नाम से जन्म हुआ मेरा-
वियतनाम या बांग्लादेश से नहीं,
जनम लिया है़ बन्दूक की नाल से-
या जलंत शवों की चिता के बीच से,
अत्याचार के जख्म से जल रहे हैं-
जल रहे मेरे मन के अंतर्मन रह-रह,
सिर्फ खून और खून-आर्तनाद या क्रन्दन,
माँ की कोख में मृत सन्तान
मैं हुआ निःसंग,लुप्त हुए जीवन से गुलशन।
मेरा शरीर मजबूत हो रहा है-
हो रहा है पुष्ट,ऑक्सीजन,नाईट्रोजन
या विटामिनों से नहीं,
सिर्फ-अपुष्टि और दीर्घश्वासों से।
मैं जीवन के अन्य रंगों को नहीं पहचानता-
सोचता भी नहीं जीवन को अन्य रूपों से,
मेरे लिए सब एक।
शब्दहीन निःस्व मेरा मन-
अन्याय के विरुद्ध मांग रहा आत्मसम्मान।
न्याय के लिए मेरी लड़ाई-नाम हुआ ‘विप्लवी’,
किसी की नजर में आतंकवादी या अपराधी॥

परिचय-गोपाल चन्द्र मुखर्जी का बसेरा जिला -बिलासपुर (छत्तीसगढ़)में है। आपका जन्म २ जून १९५४ को कोलकाता में हुआ है। स्थाई रुप से छत्तीसगढ़ में ही निवासरत श्री मुखर्जी को बंगला,हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। पूर्णतः शिक्षित गोपाल जी का कार्यक्षेत्र-नागरिकों के हित में विभिन्न मुद्दों पर समाजसेवा है,जबकि सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत सामाजिक उन्नयन में सक्रियता हैं। लेखन विधा आलेख व कविता है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में साहित्य के क्षेत्र में ‘साहित्य श्री’ सम्मान,सेरा (श्रेष्ठ) साहित्यिक सम्मान,जातीय कवि परिषद(ढाका) से २ बार सेरा सम्मान प्राप्त हुआ है। इसके अलावा देश-विदेश की विभिन्न संस्थाओं से प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान और छग शासन से २०१६ में गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट समाज सेवा मूलक कार्यों के लिए प्रशस्ति-पत्र एवं सम्मान मिला है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज और भविष्य की पीढ़ी को देश की उन विभूतियों से अवगत कराना है,जिन्होंने देश या समाज के लिए कीर्ति प्राप्त की है। मुंशी प्रेमचंद को पसंदीदा हिन्दी लेखक और उत्साह को ही प्रेरणापुंज मानने वाले श्री मुखर्जी के देश व हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा एक बेहद सहजबोध,सरल एवं सर्वजन प्रिय भाषा है। अंग्रेज शासन के पूर्व से ही बंगाल में भी हिंदी भाषा का आदर है। सम्पूर्ण देश में अधिक बोलने एवं समझने वाली भाषा हिंदी है, जिसे सम्मान और अधिक प्रचारित करना सबकी जिम्मेवारी है।” आपका जीवन लक्ष्य-सामाजिक उन्नयन है।

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